मोना  भाग - 3


 रात में अधिक देर जागने  के कारण सवेरे उठने के पश्चात रोहन की आंखे जल रही थी।  प्रातः 9 बजे ही तैयार होकर उसने गांव की ओर घूमने जाने की बात कहते ही होटल मालिक को अचरज हुआ , यह रोहन के ध्यान में आया।  रोहन ने  यूँ ही सफाई देते हुए कहा - ' यहाँ ,बस स्टैंड के आलावा और कहीं घूमने जाने की जगह नहीं है।  वहीँ गांव  में नई जान पहचान हुई है।  वैसे आने जाने में समय भी कट  जायेगा।  और तो और यहां समय काटने का दूसरा साधन भी नहीं है। '
              रोहन की बातों से होटल मालिक का समाधान हुआ।  जबकि दो तीन दिनों बाद चले जाने वाले ग्राहक की चिंता करने की उसे जरुरत नहीं थी। वैसे बारिश को छोड़े तो अन्य दिनों उस होटल में आने जाने वाले ग्राहकों का ताँता लगा रहता।  बस ग्राहक से औपचारिकता  निभाने उसने रोहन से पूछा था। उस होटल मालिक को लगा था की समय बीताने के साधनो की जानकारी करेगा रोहन करेगा , वैसी जानकारी करने के बजाय सीधे गांव में चक्कर लगाने की बात बताई थी। इसका अचरज होटल मालिक को हो रहा था। 
              रोहन के कदम अनजाने  ही एक आकर्षण के तरह गांव की ओर तेज बढ़ रहे थे। गांव के पासवाले बस स्टॉप के निकट पहुंचते ही दाहिने ओर की बैल गाड़ी की सड़क की ओर रोहन मूड गया।  आज उसे कीचड़ को रोंदते हुए आनंद आ रहा था।  साथ में कैमेरा और दो रोल लेने को वह भुला न था तीसरा रोल उसके पास न था।  तीसरा रोल अब मुंबई पहुंचने पर ही मिल सकता था। विशेषकर आज रोहन ने मुंबई जानेवाली बस की पूछताछ नहीं की थी। 

              कल के मुकाबले आज वह जल्द ही गांव में पहुँच गया।  सखाराम के घर के पास भीड़ जमा थी।  निकट जाते ही उसने गांववालों से जाना की आज पंचायत लगी है। गांववालों की समस्यांओ का समाधान , आपस के झगड़े सुलझाने पंचायत लगी थी।
              रोहन को अचानक वहां देखकर गांववालों को अचरज हुआ पंचायत का कार्य लगभग समाप्त हो चूका था। सखाराम ने रोहन का परिचय सरपंच से कराया।  कल मिले गांववालों  ने भी रोहन का स्वागत किया। रोहन ने सरपंच तथा सारी पंचायत का एक फोटो खिंचा।  सरपंच के व्यक्तिगत दो तीन फोटो भी खींचे , इससे सरपंच खुश हुए।  तब उन्होंने कभी घर आने का रोहन को निमंत्रण भी दिया।   
               सरपंच के निमंत्रण का स्वीकार करते हुए रोहन ने कहा - ' मुंबई जाने से पहले एक बार अवश्य आने का वचन दिया।  सरपंच द्वारा रोहन का स्वागत करने से सखाराम खुश हुआ था।  आज पंचायत होने के कारण और भी बहुत से लोगों का परिचय हुआ।  रोहन को ऐसा लग रहा था की जैसे वह कोई वी  आई  पी  है । मुंबई में शायद ही इतना सन्मान किसी ने नहीं दिया होता।  रोहन को उस गांव  से प्रेम होने लगा।  जब तक मै यहां रहूँगा , तब तक प्रति दिन आऊंगा।  यह सब देख रोहन ने मन ही मन यह ठान लिया की इन गांववालों तथा वहां की सृष्टि सौंदर्य के सचित्र फोटो के साथ लेख समाचार पत्रों में प्रकाशित करूँगा। 
               गांववालों की मेहमान  नवाजी , जान - पहचान इसमें मग्न होते हुए भी वह आज चार बजे , उस सुंदरी को मिलने का वादा भुला न था। रोहन  का गांव में आने का मुख्य उद्देश्य वही तो था।  सखाराम तथा अन्य नव - परिचित मित्रों को पुनः कल आने का वचन देकर रोहन घूमने के बहाने अकेला ही गांव  के बाहर निकल पड़ा।  चार कब बजेंगे ऐसा उसे हो रहा था।  दोपहर तीन बजे ही रोहन निर्धारित स्थान निकट पहुँच गया।  वहां बैठकर उस युवती की प्रतीक्षा करने का उसका इरादा था। परन्तु उसका इरादा धरा का धरा रह गया।  जब वह उस निर्धरित स्थान पर पहुंचा तो उसने देखा वह सुंदरी वहां पहले ही उपस्थित थी।  
              रोहन ने उसे देखा तो वह हैरान रह गया। वैसे मन में तो आनंद हुआ कारण बीना प्रतीक्षा के वह आ चुकी थी। चेहरे की ख़ुशी को प्रकट किये बिना बोला - '' मैंने सोंचा था , मै चार बजे पहुँचूँगा परन्तु थोड़ा पहले ही आ गया हूँ। '' रोहन की ओर मुस्कुराकर देखते हुए वह युवती बोली  - '' मै तो तुम्हारी कब से प्रतीक्षा कर रही हूँ ? '' उसकी बात सुनकर रोहन आवाक  रह गया ! मन ही मन सोंचा मुझमे इतनी क्या खूबी है जो इस युवती ने मुझमे देखी है , यह रोहन के समझ में नहीं आ रहा था। 
             उसने कुछ साहस करते हुए उस युवती से पूछा - '' तुम्हारी तथा तुम्हारे पेंटिंग्स की कुछ तस्वीरें ली तो तुम्हे कोई ऐतराज होगा ? '' क्यों नहीं जरूर तस्वीरें ले परन्तु मेरी याद समझकर अपने पास ही रख लेना।  जिंदगी  में कभी हुआ तो देखूंगी किन्तु फोटो मेरे घर गलती से भी न भेजना। '' रोहन समझ नहीं पा रहा था की उस युवती ने ऐसा क्यों कहा।  रोहन  ने अभी यह नहीं बताया था की कुछ देर पहले उसकी मुलाकात उसके चाचाजी से हुई थी।  विचारों में खोई उस युवती की ओर देखते हुए रोहन ने कहा - '' आज तुम्हारे सरपंच चाचाजी से भेंट हुई थी।  उन्होंने स्वयं मुझे घर आने का न्योता दिया है। '' रोहन के इतना कहते ही वह बोली - '' फिर कब पधारेंगे ? तो उल्टे रोहन ने ही पूछा - '' कब आना पड़ेगा  ?  '' कभी भी आइये '' तब रोहन ने कहा जाने से पहले एक बार जरूर आऊंगा।  
              उस युवती ने विषय बदलते हुए कहा - '' तुम्हे मंदिर में जाना है ना ? '' तब रोहन ने कहा चलो निकलेंगे । रोहन उस सुंदरी के साथ चल पड़ा।  जब वे मंदिर में पहुंचे तो उन्हें वहां कुछ गांववाले नजर आये , परन्तु  वे जल्द ही चले भी गए। अब वे दोनों बातें करने आज़ाद थे। 
        [   शेष कहानी अब आपको जल्द ही पुस्तक के रूप में मिलेगी  ]