हेलोवीन को प्रमुखता से पश्चिमी देशों में मनाया जाता है। इसे आल हेलोस इवनिंग , आलहेलोवीन , आलहेलोस इव और आल सेंट्स इव भी कहा जाता है। यह विशेष दिन सेल्टिक कैलेंडर का आखिरी दिन होता है। इसे कारण सेल्टिक लोगों के बीच यह नय वर्ष की शुरुवात के रूप में मनाया जाता है। विभिन्न लोग जिसे हम ' सेल्ट्स [celts] के रूप में जानते है। यह पहले पूरे यूरोप में रहते थे , परन्तु समय के साथ -साथ आज आइलैंड , स्कॉटलैंड , वेल्स , ब्रिटेन तथा कॉर्नवाल आदि क्षेत्रों में बस गए है।
हेलोवीन दिवस को प्रतिवर्ष अक्टूबर माह की 31 तारीख को ही मनाया जाता है। कहा जाता है की इसकी शुरुवात उन्नीसवीं सदी में अप्रवासी उत्तरी अमेरिकियों ने की थी। इसे प्रासंगिक रूप से कनाडा , प्युर्तोरिका , इंग्लैंड , न्यूज़ीलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया में भी मनाया जाता है। इतिहास के अनुसार लगभग 2000 या उससे अधिक वर्षों पहले प्रसिद्धः धार्मिक त्यौहार ' ऑल सेंट्स डे ' संपूर्ण योरोप के देशों में 1 नवंबर को मनाया जाता था। जबकि कुछ इतिहासकारों का कहना है की हेलोवीन का इतिहास प्राचीन सेल्टिक त्यौहार साम्हैंन से सम्बंधित है। इस दिन गैलिक परम्पराओं को माननेवाले लोग इस त्यौहार को मानते है और यह फसल के मौसम का आखिरी दिन होता है वहीँ इस दिन से ठण्ड के मौसम की शुरुवात होती है।
गैलिक परम्पराओं को माननेवालों का विश्वास है की इस दिन मरे हुए लोगों की आत्माएं उठती है और धरती पर प्रकट होती है तथा जीवित आत्माओं के लिए परेशानी उत्पन्न करती है। इन बुरी आत्माओं के भय को दूर करने के लिए ही राक्षस , भूतों जैसे कपड़ों का परिधान करते है। इसके अतिरिक्त आग जलाई जाती है जिसमे मरे हुए जानवरों की हड्डियों को उसमे फेंका जाता है।
हेलोवीन दिवस को प्रतिवर्ष अक्टूबर माह की 31 तारीख को ही मनाया जाता है। कहा जाता है की इसकी शुरुवात उन्नीसवीं सदी में अप्रवासी उत्तरी अमेरिकियों ने की थी। इसे प्रासंगिक रूप से कनाडा , प्युर्तोरिका , इंग्लैंड , न्यूज़ीलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया में भी मनाया जाता है। इतिहास के अनुसार लगभग 2000 या उससे अधिक वर्षों पहले प्रसिद्धः धार्मिक त्यौहार ' ऑल सेंट्स डे ' संपूर्ण योरोप के देशों में 1 नवंबर को मनाया जाता था। जबकि कुछ इतिहासकारों का कहना है की हेलोवीन का इतिहास प्राचीन सेल्टिक त्यौहार साम्हैंन से सम्बंधित है। इस दिन गैलिक परम्पराओं को माननेवाले लोग इस त्यौहार को मानते है और यह फसल के मौसम का आखिरी दिन होता है वहीँ इस दिन से ठण्ड के मौसम की शुरुवात होती है।
गैलिक परम्पराओं को माननेवालों का विश्वास है की इस दिन मरे हुए लोगों की आत्माएं उठती है और धरती पर प्रकट होती है तथा जीवित आत्माओं के लिए परेशानी उत्पन्न करती है। इन बुरी आत्माओं के भय को दूर करने के लिए ही राक्षस , भूतों जैसे कपड़ों का परिधान करते है। इसके अतिरिक्त आग जलाई जाती है जिसमे मरे हुए जानवरों की हड्डियों को उसमे फेंका जाता है।
हेलोवीन का मुख्य प्रतिक कद्दू |
0 टिप्पणियाँ