[ क्या नेहा कब से मै बेल बजाय जा रही थी पर तुम दरवाजा ही नहीं खोल रही थी क्या हुआ ? नेहा का मुरझाया हुआ चेहरा देख आशा के मन में शंका आ ही गई । आशा की बेटी ने पूछाः - '' आंटी मोना किधर है ? इसपर भी नेहा ने कोई उत्तर नहीं दिया । तब आशा की शंका विश्वास में बदल गई । जब कभी आशा के साथ तान्या आती तो नेहा बहुत खुश हो जाती परन्तु आज तो तान्या ने विश किया उसका उत्तर नहीं दिया यंहा तक की मोना के बारे में पूछा तो उसका भी कोई उत्तर नहीं । आशा ने अंदाजा लगाया यहाँ कुछ न कुछ गंभीर बात घटी है । आशा ने ही फ्रिज खोला और पानी की बोतल निकाली , अपनी बेटी को पानी देकर नेहा को भी पानी पिलाया । ]
[ भाग - 2 ]
[ भाग - 2 ]
तन्या टीवी का कार्यक्रम देखने में खो गई । इधर नेहा के पास बैठते हुए आशा ने उससे जानना चाहा कि आखिर हुआ क्या है ? तब नेहा ने मोना का किस्सा बताया इसपर आशा हँसते हुई बोली - ' आरी बुद्धू मोना ने तुमसे मजाक किया होगा इसके लिए तुम इतनी परेशान हो गई ? चल मै मोना से बात करती हूँ ।
आशा तथा नेहा मोना के बेडरूम की ओर मुड़ी देखा तो मोना अभी भी उसी तरह पलंग पर लेटी थी । उसकी ओर देखते हुए आशा ने कहा - ' हाय मोना , क्या छुट्टी की नींद पूरी कर रही हो ? ' मोना ने आशा की ओर बिना उत्तर दिए देखते रह गई । कुछ तो गड़बड़ है नहीं तो केवल आशा की आवाज सुनकर दौड़ते हुई आनेवाली मोना आज गुमसुम सी अपरिचित सी देख रही थी ।
नेहा ने पुनः उसे उठने के लिए मनाते हुई कहा - ' मोना बेटे उठो , तुम्हारे से खेलने तन्या भी बाहर बैठी है । इतना कहते ही मोना भड़क उठी - ' आंटीजी मै देख रही हूँ आप बार बार मोना की रट लगाय जा रही हो । मैं न मोना हूँ न सोना मै तो नज्यो हूँ यानि नजमा खान , जबकि मेरी अम्मी का नाम राबिया खान है । पता नहीं आप लोग मुझे ही मोना मोना कहकर परेशान किये जा रही हो । '
उसकी बातें करने की अदा पूरी तरह मुस्लिम युवती जैसी थी । उसका देखना आंखे मटकाना सब कुछ निराला था । अब करे भी तो क्या करे यह आशा और नेहा की समझ में नहीं आ रहा था । आशा ने नेहा को इशारे से ही बेडरूम से बाहर चलने को कहा । दोनों हॉल में बहुत देर तक विचार - विमर्श करती रही । आज आशा शॉपिंग के लिए नेहा को ले जाने आयी थी. बाहर ही लंच करने की योजना थी । इस घटना ने सारी योजना पर पानी फेर दिया था ।
नेहा ने घडी देखते हुए आशा से कहा - ' आशा , मै इन्हे घर जल्द से आने के लिए फ़ोन करती हूँ । सवेरे से चल रही यह समस्या दोपहर बीतने पर भी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही थी । नेहा ने फ़ोन उठाते ही आशा ने कहा - ' महेश के आते ही हम भी अपने घर के लिए निकलते है।
काफी देर तक महेश का फ़ोन बजता रहा पर वह फ़ोन उठा नहीं रहा था । नेहा का दिल और भी जोर से धड़कने लगा । पुनः नंबर मिलाया तभी महेश ने ''हेलो नेहा '' कहते ही नेहा की जान में जान आ गयी । मैं कब से तुम्हारा फ़ोन ट्राय कर रही हूँ । बेल हो रही है आपने फ़ोन क्यों नहीं उठाया ? '' इस पर महेश ने कहा - '' नेहा जी अब तक अपने बॉस के केबिन में था और मेरा फ़ोन मेरे टेबल पर कैसे फ़ोन उठाता ? '' खैर , यह बताओ इस वक़्त मुझे फ़ोन क्यों किया । '' नेहा - '' देखिये आप अभी घर आ जाइये ।नेहा के इतना कहते ही महेश परेशान हो उठा। नेहा ने मोना का नाम लेते ही वह ओर भी घबरा उठा । दोनों की बातें सुन रही आशा ने नेहा से फ़ोन लिया और महेश को बताया की मोना कुछ बहकी बहकी बातें कर रही है बस ! उसे डॉक्टर के पास ले जाना है , इस कारण आप घर जल्द पधारे ।
फ़ोन के आते ही महेश भी बेचैन होने लगा था , वह उसी समय पुनः अपने बॉस के केबिन की ओर दौड़ता हुआ गया और उसने फ़ोन की बात बताई तथा घर जाने की इजाजत मांगी । इजाजत मिलते ही वह घर की ओर निकल पड़ा ।
महेश घर पहुँचते ही सीधे बेडरूम की ओर लपका देखा तो मोना गहरी नींद में थी । उसे गहरी नींद से जगाना उचित नहीं लगा । वह पुनः हॉल में पहुंचा जहां नेहा और आशा मौजूद थी । उन दोनो से महेश मोना का हाल जानने लगा । बातों के सिलसिले में भुत - प्रेत , जादू टोना जैसी शंकाओं पर विचार - विमर्श किया जा रहा था ।
विचार - विमर्श के पश्चात महेश ने अपने पारिवारिक डॉक्टर वर्मा से फ़ोन पर संपर्क कर उन्हें सारी घटना बता दी । डॉक्टर वर्मा ने उन्हें रात आठ बजे मोना को लेकर अपने क्लिनिक में लाने कहा ।
महेश , डॉक्टर से हुई बातचीत नेहा तथा आशा को बता ही रहा था कि बेडरूम से मम्मा मम्मा की आवाज मोना लगा रही थी । नेहा लगभग दौड़ते हुई बेडरूम की ओर भागी । मोना बिस्तर से उठकर बैठी थी । नेहा को देखते हुई बोली - '' मम्मा मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है , जरा दबा दो न । इस बीच आशा और महेश भी बेडरूम में पहुँच चुके थे ।
आशा को देखते ही मोना बिस्तर से झट से उठी और हाय आंटी कहते हुए उससे लिपट गई । तब आशा ने उसे बताया की तन्या भी हॉल में टी . वी . देख रही है , तब मोना हॉल की ओर भागी । तीनो एक दूसरे के मुँह ताकते रह गए । क्या कहे यही उनकी समझ में नहीं आ रहा था । कुछ समय पहले अपने आपको नज्जो कहनेवाली मोना अब सबको पहचानते हुए साधारण सा व्यवहार करने लगी थी ।
शाम के सात बज रहे थे । उसने घर लौटने की बात कहते ही महेश ने कहा - '' एक काम करेंगे हम अमित को भी यही बुलाते है । डॉक्टर से मुलाकात करने के पश्चात आज डिनर किसी होटल में करेंगे । वैसे भी काफी दिनों से हम लोगो ने इकठ्ठा डिनर नहीं किया है । उसी मे व्यंग कस्ते हुए कहा - आज की शाम नज्जो के नाम । '' इसपर सभी हंस पड़े । हंसी की आवाज सुनकर मोना भी वहां पहुंच गई और हंसी का कारण पूछने लगी । तब उसकी आशा आंटी ने उसे बताया - '' मोना आज तुम्हारे पापा हम सब को डिनर की पार्टी दे रहे है । '' इतना सुनते ही मोना , तन्या को बताने भागी ।
थोड़ी ही देर में सभी डॉक्टर के पास जाने के लिए निकल पड़े । महेश ने क्लिनिक के निकट अपनी कार रोक दी । अमित सीधे यही आनेवाला था । महेश तथा नेहा मोना को लेकर क्लिनिक के भीतर चले गए । आशा तथा तन्या कार में ही अमित की प्रतीक्षा में बैठी रही ।
आशा तथा नेहा मोना के बेडरूम की ओर मुड़ी देखा तो मोना अभी भी उसी तरह पलंग पर लेटी थी । उसकी ओर देखते हुए आशा ने कहा - ' हाय मोना , क्या छुट्टी की नींद पूरी कर रही हो ? ' मोना ने आशा की ओर बिना उत्तर दिए देखते रह गई । कुछ तो गड़बड़ है नहीं तो केवल आशा की आवाज सुनकर दौड़ते हुई आनेवाली मोना आज गुमसुम सी अपरिचित सी देख रही थी ।
नेहा ने पुनः उसे उठने के लिए मनाते हुई कहा - ' मोना बेटे उठो , तुम्हारे से खेलने तन्या भी बाहर बैठी है । इतना कहते ही मोना भड़क उठी - ' आंटीजी मै देख रही हूँ आप बार बार मोना की रट लगाय जा रही हो । मैं न मोना हूँ न सोना मै तो नज्यो हूँ यानि नजमा खान , जबकि मेरी अम्मी का नाम राबिया खान है । पता नहीं आप लोग मुझे ही मोना मोना कहकर परेशान किये जा रही हो । '
उसकी बातें करने की अदा पूरी तरह मुस्लिम युवती जैसी थी । उसका देखना आंखे मटकाना सब कुछ निराला था । अब करे भी तो क्या करे यह आशा और नेहा की समझ में नहीं आ रहा था । आशा ने नेहा को इशारे से ही बेडरूम से बाहर चलने को कहा । दोनों हॉल में बहुत देर तक विचार - विमर्श करती रही । आज आशा शॉपिंग के लिए नेहा को ले जाने आयी थी. बाहर ही लंच करने की योजना थी । इस घटना ने सारी योजना पर पानी फेर दिया था ।
नेहा ने घडी देखते हुए आशा से कहा - ' आशा , मै इन्हे घर जल्द से आने के लिए फ़ोन करती हूँ । सवेरे से चल रही यह समस्या दोपहर बीतने पर भी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही थी । नेहा ने फ़ोन उठाते ही आशा ने कहा - ' महेश के आते ही हम भी अपने घर के लिए निकलते है।
काफी देर तक महेश का फ़ोन बजता रहा पर वह फ़ोन उठा नहीं रहा था । नेहा का दिल और भी जोर से धड़कने लगा । पुनः नंबर मिलाया तभी महेश ने ''हेलो नेहा '' कहते ही नेहा की जान में जान आ गयी । मैं कब से तुम्हारा फ़ोन ट्राय कर रही हूँ । बेल हो रही है आपने फ़ोन क्यों नहीं उठाया ? '' इस पर महेश ने कहा - '' नेहा जी अब तक अपने बॉस के केबिन में था और मेरा फ़ोन मेरे टेबल पर कैसे फ़ोन उठाता ? '' खैर , यह बताओ इस वक़्त मुझे फ़ोन क्यों किया । '' नेहा - '' देखिये आप अभी घर आ जाइये ।नेहा के इतना कहते ही महेश परेशान हो उठा। नेहा ने मोना का नाम लेते ही वह ओर भी घबरा उठा । दोनों की बातें सुन रही आशा ने नेहा से फ़ोन लिया और महेश को बताया की मोना कुछ बहकी बहकी बातें कर रही है बस ! उसे डॉक्टर के पास ले जाना है , इस कारण आप घर जल्द पधारे ।
फ़ोन के आते ही महेश भी बेचैन होने लगा था , वह उसी समय पुनः अपने बॉस के केबिन की ओर दौड़ता हुआ गया और उसने फ़ोन की बात बताई तथा घर जाने की इजाजत मांगी । इजाजत मिलते ही वह घर की ओर निकल पड़ा ।
महेश घर पहुँचते ही सीधे बेडरूम की ओर लपका देखा तो मोना गहरी नींद में थी । उसे गहरी नींद से जगाना उचित नहीं लगा । वह पुनः हॉल में पहुंचा जहां नेहा और आशा मौजूद थी । उन दोनो से महेश मोना का हाल जानने लगा । बातों के सिलसिले में भुत - प्रेत , जादू टोना जैसी शंकाओं पर विचार - विमर्श किया जा रहा था ।
विचार - विमर्श के पश्चात महेश ने अपने पारिवारिक डॉक्टर वर्मा से फ़ोन पर संपर्क कर उन्हें सारी घटना बता दी । डॉक्टर वर्मा ने उन्हें रात आठ बजे मोना को लेकर अपने क्लिनिक में लाने कहा ।
महेश , डॉक्टर से हुई बातचीत नेहा तथा आशा को बता ही रहा था कि बेडरूम से मम्मा मम्मा की आवाज मोना लगा रही थी । नेहा लगभग दौड़ते हुई बेडरूम की ओर भागी । मोना बिस्तर से उठकर बैठी थी । नेहा को देखते हुई बोली - '' मम्मा मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है , जरा दबा दो न । इस बीच आशा और महेश भी बेडरूम में पहुँच चुके थे ।
आशा को देखते ही मोना बिस्तर से झट से उठी और हाय आंटी कहते हुए उससे लिपट गई । तब आशा ने उसे बताया की तन्या भी हॉल में टी . वी . देख रही है , तब मोना हॉल की ओर भागी । तीनो एक दूसरे के मुँह ताकते रह गए । क्या कहे यही उनकी समझ में नहीं आ रहा था । कुछ समय पहले अपने आपको नज्जो कहनेवाली मोना अब सबको पहचानते हुए साधारण सा व्यवहार करने लगी थी ।
शाम के सात बज रहे थे । उसने घर लौटने की बात कहते ही महेश ने कहा - '' एक काम करेंगे हम अमित को भी यही बुलाते है । डॉक्टर से मुलाकात करने के पश्चात आज डिनर किसी होटल में करेंगे । वैसे भी काफी दिनों से हम लोगो ने इकठ्ठा डिनर नहीं किया है । उसी मे व्यंग कस्ते हुए कहा - आज की शाम नज्जो के नाम । '' इसपर सभी हंस पड़े । हंसी की आवाज सुनकर मोना भी वहां पहुंच गई और हंसी का कारण पूछने लगी । तब उसकी आशा आंटी ने उसे बताया - '' मोना आज तुम्हारे पापा हम सब को डिनर की पार्टी दे रहे है । '' इतना सुनते ही मोना , तन्या को बताने भागी ।
थोड़ी ही देर में सभी डॉक्टर के पास जाने के लिए निकल पड़े । महेश ने क्लिनिक के निकट अपनी कार रोक दी । अमित सीधे यही आनेवाला था । महेश तथा नेहा मोना को लेकर क्लिनिक के भीतर चले गए । आशा तथा तन्या कार में ही अमित की प्रतीक्षा में बैठी रही ।
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