हमारे देश में आज़ादी के पश्चात हिंदी सिनेमा उद्योग [ Bollywood ] में फिल्मों के निर्माण में बहुत तेजी हो गयी थी। नई - नई फ़िल्मी कहानियाँ नए - नए अभिनेताओं तथा अभिनेत्रियों को जानने का हमें अवसर प्राप्त होने लगा था। ख़ासकर, उस शुरुवाती दौर में हमारी फिल्में श्वेत - श्याम [ Black & White ] होते हुए भी सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ लगी रहती थी।
सिनेमाघरों के आगे जुटी इसी भीड़ के चलते दर्शकों की पसंद अभिनेता या अभिनेत्री की लोकप्रियता देख उन्हें सफल माना जाता, फिर उनकी फ़िल्में ही भीड़ और धन जुटाने में क़ामयाब हो जाती। इस कारण अभिनेता की फीस भी बढ़ जाती। इन अभिनेताओं को यहीं से '' सुपरस्टार '' का दर्जा प्राप्त होने लगा शायद।
साठ के दशक में राजकपूर, दिलीप कुमार, देवआनंद, तथा शम्मी कपूर ने इसी तरह अपनी फिल्मों से सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ जुटाते हुए अपने आप को सुपरस्टार की श्रेणी में खड़ा कर लिया था।
राजकपूर : -
निर्देशक राधू करमरकर द्वारा निर्देशित फिल्म '' जिस देश में गंगा बहती है '' [1960 ] इस फिल्म के निर्माता स्वयं राजकपूर थे। निर्देशक मनमोहन देसाई की फिल्म '' छलिया '' [1960], निर्देशक एस. एम. अब्बास की फिल्म '' श्रीमान सत्यवादी '', निर्देशक हृषिकेश मुख़र्जी की फिल्म '' अनाड़ी ''उल्लेखनीय है।
शम्मी कपूर : -
एक प्रेम कहानी पर आधारित फिल्म '' तुमसा नहीं देखा '' [1957] जिसका निर्माण लेखक -निर्देशक नासिर हुसैन ने किया था, निर्देशक नासिर हुसैन की फिल्म '' दिल देके देखो ''[1959], सुबोध मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म '' जंगली '' [1961], लेख टंडन की फिल्म '' प्रोफ़ेसर '' [1962], विजय आनंद द्वारा निर्देशित फिल्म '' तीसरी मंज़िल '' [1966], और निर्देशक भप्पी सोनी की फिल्म '' ब्रह्मचारी '' [1968 ] इन फिल्मों ने शम्मी कपूर को लोकप्रियता दिलाई।
देव आनंद : -
निर्देशक राज खोसला द्वारा निर्देशित फिल्म '' काला पानी '' [1958], निर्देशक विजय आनंद द्वारा निर्देशित फिल्म '' काला बाज़ार '' [1960] जिसका निर्माण स्वयं देव आनंद ने ' नवकेतन फिल्म्स ' के लिए किया था। निर्देशक राज खोसला की फिल्म '' बम्बई का बाबू '' [1960], इसके आलावा अमरजीत द्वारा निर्देशित फिल्म '' हम दोनों '' [1961]ये फ़िल्में उनकी लोकप्रियता की फेरिस्त में दर्ज है।
दिलीप कुमार : -
निर्देशक नितिन बोस की फिल्म '' दीदार '' [1951], निर्देशक बिमल रॉय की फिल्म '' देवदास '' [1955] इसी फिल्म के कारण दिलीप कुमार ' ट्रैजिडी किंग ' रूप में विख्यात हुए। उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म '' मुगले आजम '' [1960] थी, जो आज भी लोकप्रियता थामे दर्शकों के मनो में बसी है। इसके आलावा निर्देशक नितिन बोस की फिल्म '' गंगा जमुना '' ने भी दर्शकों की भीड़ जुटाई थी।
सत्तर के दशक में सुपरहीरो : -
राजेश खन्ना |
सं.1970 में इस दौर के ' सुपरस्टार ' कहे जानेवाले राजेश खन्ना की फ़िल्में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ करती थी। जिनमे विशेष रूप से निर्माता - निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म '' आराधना '' [1969], निर्माता - निर्देशक राज खोसला की फिल्म '' दो रास्ते '' [1969], निर्देशक असित सेन की फिल्म '' सफर '' [1970], निर्माता - निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म '' कटी पतंग '' [1971], मुकुल दत्त द्वारा निर्देशित फिल्म '' आन मिलो सजना '',मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित फिल्म '' सच्चा झूठा '' [1970], दुलाल गुहा द्वारा निर्देशित फिल्म '' दुश्मन '' [1972], निर्देशक थिरुमुगन की फिल्म '' हाथी मेरे साथी '' [1971], निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्म '' अंदाज़ '' [1971], निर्माता - निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म '' अमर प्रेम '' [1972] और निर्देशक के. एस. प्रकाश राव की फिल्म '' प्रेम नगर '' ने राजेश खन्ना को लोकप्रियता की बुलंदियों पर बिठा दिया।
राजेश खन्ना को फिल्म '' आराधना '' के लिए फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार, फिल्म '' कटी पतंग '' और फिल्म '' सच्चा झूठा ''के लिए फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार प्राप्त हुए है।
सं. 1973 में ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म '' नमक हराम '' सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में राजेश खन्ना ने ' सोमनाथ ' का दमदार चरित्र निभाया था। वहीं ' सोमनाथ ' के दोस्त ' विक्की ' की भूमिका में अमिताभ बच्चन नजर आये थे।
'' नमक हराम '' इस फिल्म से यह साबित होने जा रहा था, जिसमे वर्त्तमान सुपरस्टार राजेश खन्ना की लोकप्रियता का अस्त होने की शुरुवात हुई थी। भविष्य के सुपरस्टार के रूप में अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता उभर कर बुलंदियों की सीढ़ियां चढ़ना आरम्भ कर चुकी थी ।
वैसे इस फिल्म के प्रदर्शित होने से पहले सं.1971 में
प्रदर्शित फिल्म '' आनंद '' में भी दोनों स्टार्स एक दूसरे के आमने सामने
नजर आये थे। अमिताभ बच्चन की महत्वपूर्ण फ़िल्में इस प्रकार है ----
अमिताभ बच्चन
सं. 1972 में निर्माता एन. सी. सिप्पी एवं निर्देशक एस. रामनाथन की फिल्म '' बॉम्बे टू गोवा '', सं.1973 में निर्माता - निर्देशक प्रकाश मेहरा की फिल्म '' जंजीर '', निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म '' अभिमान '',सं.1974 में अरविन्द सेन द्वारा निर्देशित फिल्म '' कसौटी'', निर्देशक नरेंद्र बेदी की फिल्म '' बेनाम ''और निर्देशक रवि टंडन की फिल्म '' मजबूर '', सं. 1975 में निर्माता - निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म '' चुपके चुपके '', ऋषिकेश मुखर्जी की ही फिल्म '' मिली '', निर्माता गुलशन राय की फिल्म '' दीवार '', निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्म '' शोले '', सं. 1976 में निर्माता - निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्म '' कभी कभी '', सं. 1977 में निर्माता - निर्देशक मनमोहन देसाई की फिल्म '' अमर अकबर एंथोनी '', निर्देशक राकेश कुमार की फिल्म '' खून पसीना '', निर्माता ए. ए. नाडियाडवाला की फिल्म '' परवरिश '' तथा निर्माता नरीमन ईरानी की फिल्म '' डॉन '' इसके अतिरिक्त कई अन्य हिट फ़िल्में है। इन्ही फिल्मों ने अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार ही नहीं बल्कि सदी का महानायक बना दिया।
'' बॉलीवुड '' एक ऐसा सिनेमा उद्योग है, जहाँ रोज - रोज नए कलाकार अपनी लोकप्रियता प्राप्त करने की सीढ़ी तलाशने प्रयत्नशील रहते है। वहीं स्थापित कलाकार दर्शकों के मनो से उतरते हुए फिल्मों के इतिहास में सिमटने लग जाते है।
इस आधुनिक हिंदी सिनेमा के युग में शाहरुख खान, सलमान खान,आमिर खान, अक्षय कुमार और ऋतिक रोशन को कैसे भुला पायेंगे।
शाहरुख खान
शाहरुख खान : - निर्माता - निर्देशक आदित्य चोपड़ा की फिल्म '' दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे '' [1995], लेखक - निर्देशक करण जौहर की फिल्म '' कुछ कुछ होता है '' [1998] और फिल्म '' कभी ख़ुशी कभी गम '' [2001],फ़राह खान निर्देशन में फिल्म '' ओम शांति ओम '' [2007], निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म '' देवदास '' [2002], निर्देशक अब्बास मस्तान की फिल्म '' बाज़ीगर '' [1993], निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्म '' दिल तो पागल है '' [1997] ऐसी अनेक फिल्मों में शाहरुख़ खान नजर आये।
सलमान खान |
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