फिल्म खून पसीना [ 1977 ]
फिल्म '' खून पसीना '' के पोस्टर में अमिताभ, विनोद खन्ना और रेखा |
निर्देशक - राकेश कुमार संगीतकार - कल्याणजी आनंदजी
कलाकार : - अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, रेखा, रणजीत, असरानी, भारत भूषण, निरुपा रॉय, कादर खान, अरुणा ईरानी, मोहन शेरी और हेलेन।
'' शिवा ' टाइगर ' अपने इलाके का स्थानीय अपराधी डॉन है। वह अपनी माँ के साथ रहता है। उसकी माँ चाहती है कि वह विवाह करे और अपना घर बसाए इसके साथ अपनी आपराधिक गतिविधियों को छोड़ दें। शिवा, चंदा से मिलता है और दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते है और जल्द ही विवाह कर लेते है। जिस तरह से शिवा अपना जीवन व्यतीत करता है, उससे चंदा चकित हो जाती है। जिस कारण उसके आसपास के सभी लोग भयभीत हो जाते है। >
चंदा, शिवा से अपनी आपराधिक गतिविधियों को छोड़ने और नौकरी पाने के लिए कहती है। शिवा सहमत होता है, परन्तु प्रश्न यह है कि क्या वह केवल चंदा के सामने ईमानदार होने का नाटक करेंगा ? दूसरी ओर भले दिलवाला डकैत शेरा है। शिवा और शेरा दोनों प्रतिद्वंदी रहते है। जब शेरा को पता चलता है कि शिवा सीधे रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहा है, तो वह शिवा के क्षेत्र में जाने का निर्णय करता है। ''
निर्देशक - राकेश कुमार संगीतकार - राजेश रोशन
कलाकार : - अमिताभ बच्चन, रेखा, अजित, कादर खान, अमजद खान, सत्यन कप्पू, यूनुस परवेज।
'' नटवर एक छोटा बालक है, जब उसके लाड़ले बड़े भाई जो एक पुलिस अधिकारी होते है। उन्हें ख़तरनाक मास्टरमाइंड अपराधी विक्रम द्वारा रिश्वत के लिए फंसाया जाता है। नटवर जब बड़ा होता है, वह अपने लिए एक गुप्त पहचान बनाता है।
मिस्टर नटवरलाल एक शक्तिशाली और रहस्यमय अंडरवर्ल्ड व्यक्ति के रूप में, विक्रम से धीरे धीरे सटीक प्रतिशोध के लिए संकल्प करता है। गिरधारीलाल उसके इरादों को नहीं समझता है और उसके खिलाफ द्वेष करता है।
नटवर एक कुख्यात अंडरवर्ल्ड व्यक्ति मिकी और विक्रम के पूर्व सहयोगी को जले हुए व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है। उन से पता चलता है कि विक्रम चंदनपुर नामक गांव में है और एक हीरे का हार चाहता है, जो फ़क़ीर चंद के कब्ज्जे में है। ''
दो अनजाने [ 1976 ]
निर्देशक - दुलाल गुहा संगीतकार - कल्याणजी आनंदजी
कलाकार : - अमिताभ बच्चन, रेखा, प्रेम चोपड़ा, उत्पल दत्त, प्रदीप कुमार, उर्मिला भट्ट, ललिता पवार, मिथुन चक्रवर्ती, अनूप कुमार, निपोन गोस्वामी, अभिभट्टाचार्य, जगदीश राज, जगदीप और राज मेहरा।
'' अमित रेलवे ट्रैक पर घायल पाया जाता है और जब उसे होश आता है तो अमित को याद नहीं रहता कि वह कौन है उसकी स्मृति खो जाती है। छः वर्षों बाद, वह एक धनवान दंपत्ति के साथ रहने लगता है। वह दंपत्ति उसे अपने बेटे के रूप में स्वीकार का रउस्का नाम नरेश रखते है।
नरेश दत्त की एक और दुर्घटना के पश्चात, उसे बीते जीवन की अपनी पत्नी रेखा रॉय की याद आ जाती है। नरेश को पता चलता है की रेखा एक सफल फिल्म अभिनेत्री है, उसने अपना नाम बदलकर सुनीता देवी रखा है। सुनीता देवी का मैनेजर कोई और नहीं बल्कि रणजीत मलिक है। जो कभी अमित का सबसे अच्छा दोस्त होता है।
फ्लैशबैक में, अमित को याद आता है कि उसका असली नाम अमित रॉय है और रणजीत वही था जिसने छः वर्षों पहले रखा के साथ यात्रा कर रहे थे उस ट्रैन से उसे फेंक कर मारने का प्रयास किया था। अमित को यह भी पता चलता है कि उसका बेटा जो अब 10 वर्ष का है। उसे एक बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया है और अमित अपने बेटे की कस्टडी वापस पाने की योजना बनाता है। ''
अलाप [ 1977 ]
निर्देशक - हृषिकेश मुखर्जी संगीतकार : - जयदेव
कलाकार : - अमिताभ बच्चन, रेखा, ओमप्रकाश, विजय शर्मा, लिली चक्रबर्ती, छाया देवी, असरानी, मनमोहन कृष्ण, फरीदा जलाल, यूनुस परवेज, ललिता कुमारी,बेंजामिन जिलानी, ए.के. हंगल और संजीव कुमार।
'' अधिवक्ता त्रिलोकी प्रसाद अपने पुत्र अशोक और आलोक के साथ रहते है। अशोक भी वकील होता है और उसका विवाह गीता से हुआ है। पिता ,आलोक को अपनी संस्था में अशोक के साथ न्याय का अभ्यास की सलाह देते है। आलोक को संगीत में रूचि होने के कारण पंडित जमुना प्रसाद के यहाँ संगीत का अभ्यास करता है।
त्रिलोकी प्रसाद को पता चलता है की आलोक संगीत के बहाने एक तवायफ सरजूबाई बनारसवाली के यहाँ जाता है जो झोपड़ - पट्टियों में रहती है। पिता के मना करने पर भी आलोक सरजूबाई के यहाँ जाता है।
उधर गुप्ताजी उन झोपड़ - पट्टियों पर कब्ज्जा पाना चाहता है।त्रिलोकी प्रसाद अपनी वकालत से कोर्ट का फैसला गुप्ताजी के पक्ष में कराते है जिससे सरजूबाई और उसके साथी बेघर होते है।गुप्तजी की फीस आलोक को दिए एक पुरानी कार खरीदने को कहते है।उन पैसों से आलोक के तांगा खरीदने पर त्रिलोकी प्रसाद उसे घर से निकाल देते है। ''
सुहाग [ 1979 ]
निर्देशक : - मनमोहन देसाई संगीतकार : - लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल
कलाकार : - अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, रेखा,परवीन बाबी, निरुपा रॉय, अमज़द खान, रणजीत, कादर खान, जीवन, जगदीश राज आदि।
'' दुर्गा और विक्रम कपूर का विवाह कई वर्षों पहले हो चूका होता है। विक्रम ने बड़े पैमाने पर अपराध किये है और परिणामस्वरूप एक प्रतिद्वंदी गैंगस्टर जग्गी का विरोध करता है, दुर्गा जुड़वाँ बच्चों को जन्म देती है। जग्गी उनमे से एक बच्चा चुरा लेता है। उस बच्चे को पास्कल को बेच देता है। अपने बेटे को लापता पाते हुए दुर्गा परेशान होती है, परन्तु जब विक्रम, दुर्गा को छोड़ देता है तो वह पूरी तरह तबाह हो जाती है।
बड़ी कठिनाईयों से दुर्गा अपने बेटे किशन को लाती है और अपने दूसरे बेटे को ढूँढना छोड़ देती है। किशन बड़ा होने पर एक ज़िम्मेदार पुलिस अधिकारी बन जाता है तो दूसरी ओर पास्कल अमित को एक अपराधी और शराबी बना देता है।
निर्देशक : - सुलतान अहमद संगीतकार : - कल्याणजी - आनंदजी
कलाकार : - अमिताभ बच्चन, रेखा, अमज़द खान और बिंदु।
'' फिल्म की शुरुवात ठाकुर जसवंत सिंह के रूप में होती है। मुंशी केशवरम की बेटी से बलात्कार करता है। उसका एक सचिव जसवंत सिंह को पैसे, महिलाएं और शराब उपलब्ध कराते रहता है। जसवंत सिंह अपने पिता की मृत्यु के पश्चात सारे क्षेत्र पर अपना नियंत्रण कर लेता है, और सभी करों में वृद्धि कर देता है।
एक दिन, एक दालान पर चलते समय जसवंत गीले फर्श से फिसल जाता है। वह क्रोध से उठता है और एक वृद्ध महिला रामवती पर हमला करता है, जो फर्श साफ़ कर रही थी।
रामवती के बेटे जीवा के आने से उसका दुर्व्यवहार बाधित होता है। सिंह उसे गोली मारने के लिए तैयार होता है परन्तु जसवंत सिंह की माँ [ रानी माँ ] उसे रोकती है। जीवा अब जसवंत सिंह के साथ बैर मोल लेता है। जीवा के विरुद्ध कई लोग साजिश रचते है।
राम बलराम [ 1980 ]
निर्देशक : - विजय आनंद संगीतकार : - लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल
कलाकार : - धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, रेखा, जीनत अमान, अजीत, अमजद खान, प्रेम चोपड़ा, सुजीत कुमार, उत्पल दत्त, असित सेन, उर्मिला भट्ट और हेलेन।
'' राम और बलराम दो छोटे लड़के है जो अपने माता - पिता के साथ रहते है। जबकि उनके चाचा जगतपाल ने लड़कों के माता पिता को मारडाला है। जगतपाल लड़कों को झूठ बोलता है कि उनके माता पिता एक दुर्घटना में मारे गए है और वह उन्हें खुद पालने का वचन देता है।
राम अपने छोटे भाई बलराम को स्कूल में प्रवेश दिलाता है हुए उसे पुलिस बल में शामिल होने के लिए भेज देता है। बड़ा भाई राम मेकैनिक बन जाता है। जगतपाल की लड़कों पर कड़ी पकड़ होती है। राम के वयस्क होने पर भी वह अपनी सारी मजदूरी अपने चाचा को देता है। उसे केवल पॉकेट मनी के लिए कुछ रूपए रखने की अनुमति होती है।
जब बलराम एक पुलिस अधिकारी के रूप में लौटता है, तो जगतपाल अंततः अपनी योजना का खुलासा करता है। वह भारत के सबसे बड़े तस्करों को निशाना बनाने के लिए राम का उपयोग करने की सोंचता है। जबकि बलराम एक पुलिस अधिकारी है, वह अपने भाई को गिरफ्तारी से बचाएगा ऐसा जगतपाल का विश्वास होता है। परन्तु बलराम को इस योजना पर आपत्ति होती है।
जगतपाल की सारी योजनाएं विफल हो जाती है, जब राम और बलराम की माँ वापस आ जाती है। वह मरने से किसी तरह बच जाती है। वह दोनों भाईयों को जगतपाल के कार्यों के बारे में बताती है।
मुक़दर का सिकंदर [1978 ]
निर्माता : - प्रकाश मेहरा संगीतकार : - कल्याणजी - आनंदजी
कलाकार : - अमिताभ बच्चन, रेखा, विनोद खन्ना, राखी, अमज़द खान, निरुपा रॉय, सुलोचना लाटकर, श्रीराम लागू, कादर खान, रणजीत, गोगा कपूर, मनमोहन कृष्ण, पी. जयराज, युसूफ खान, मयूर और मधु मालिनी।
'' रामनाथ नामक धनि व्यक्ति के पास एक अनाथ लड़का घर में काम करने लगता है। जबकि रामनाथ उसे पसंद नहीं करते है। रामनाथ को अनाथ लड़कों से घृणा होती है, इसके पहले कभी किसी एक अनाथ लड़के ने उनकी पत्नी की हत्या की होती है। रामनाथ की बेटी कामना उस लड़के के साथ सहानुभूति रखती है और वे दोनों दोस्त बन जाते है।
उस अनाथ लड़के को फातिमा नामक मुस्लिम महिला अपनाती है वह उस लड़के को सिकंदर नाम देती है। एक दिन कामना के जन्मदिन के अवसर पर सिकंदर को पार्टी में प्रवेश करने से रोका जाता है। सिकंदर उपहार देने के लिए कामना के कमरे में घुस जाता है। उसपर चोरी करने का आरोप लगाया जाता है उसी समय सिकंदर और उसकी माँ फातिमा को रामनाथ घर से निकाल देते है। इसके तुरंत बाद फातिमा की मौत हो जाती है। फातिमा मरते समय अपनी बेटी मेहरु की देखभाल करने की जिम्मेदारी सिकंदर पर छोड़ जाती है।
एक बार में सिकंदर को बम विस्फोट से बचाने के लिए विशाल आनंद अपने जीवन को जोख़िम में डालकर उसे बचाता है। सिकंदर कामना से बात करने का प्रयत्न करता है, तब वह उसे कभी बात न करने के लिए कहती है। सिकंदर नियमित रूप से जोहरा बेगम के कोठे का चक्कर लगाना शुरू कर देता है।
सिलसिला [ 1981 ]
निर्देशक : - यश चोपड़ा संगीतकार : - शिवहारी
कलाकार : - अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, रेखा, शशि कपूर, संजीव कुमार और सुधा चोपड़ा।
'' शेखर मल्होत्रा और अमित मल्होत्रा दो भाई छोटी उम्र में ही अनाथ हो जाते है। फिर भी वे स्वतंत्र जीवन जीते है। एक भाई शेखर भारतीय वायु सेना में पॉयलट है और अमित एक उभरता हुआ लेखक रहता है। शेखर को शोभा से प्यार हो जाता है। वहीं अमित चाँदनी को लुभाना चाहता है।
चाँदनी के माता - पिता उसका विवाह अमित से कराने की तैयारी करते है। दोनों भाई एक ही समय में विवाह करने की योजना बनाते है। परन्तु शेखर पाकिस्तान वायु सेना के विरुद्ध लड़ाई में मारा जाता है। उस दौरान शोभा गर्भवती रहती है अमित शोभा पर दया करते हुए उससे विवाह कर लेता है और चाँदनी को उसे भूल जाने के लिए कहता है। इस बात से चाँदनी को बहुत ठेस पहुंचती है और वह डॉ.वी. के. आनंद से विवाह कर लेती है।
इसी बीच एक कार दुर्घटना में शोभा अपने बच्चे को खो देती है। अमित और शोभा में दूरियां बढ़ने लगती है। अमित का चाँदनी से सामना हो जाता है और उनका प्रेम फिर उभरने लगता है।
डॉ. आनंद यात्रा पर निकलते है और चाँदनी को आश्वासन देते हुए जल्द वापस आने की बात कहते है। डॉ. आनंद का प्लेन क्रैश हो जाता है ,अमित और चाँदनी मलबे वाली जगह पहुंचते है।डॉ. आनंद को बचाते समय अमित का सामना शोभा से होता है। डॉ. आनंद को जब मलबे से बचाया जाता है , तो चाँदनी को अपने पति के लिए प्यार का अहसास होता है।
0 टिप्पणियाँ