अंग्रेजों  के जमाने के जेलर है हम - असरानी

                                     

                                                
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                          कॉमेडी कलाकार गोवर्धन असरानी

                                                                         
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फिल्म '' शोले '' में असरानी



'' अंग्रेजों के जमाने के जेलर है हम "यह डायलॉग निर्माता जी. पी.  
सिप्पी तथा निर्देशक रमेश सिप्पी द्वारा 1975 में निर्मित फिल्म" शोले"में असरानी ने बोला था।" शोले " जो हिन्दी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की लिस्ट में दर्ज हुई है। असरानी का जेलर वाला डायलॉग आज भी 48 वर्षों बाद लोगों के दिलों दिमाग पर छाया हुआ है।

                                          

                                                                      
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राजेश खन्ना और असरानी फिल्म '' नमक हराम '' में



       असरानी ने बॉलीवुड के हिन्दी सिनेमा में करीब 350 से अधिक फिल्मों में मुख्य भूमिकाएँ, चरित्र भूमिकाएँ, हास्य भूमिकाएँ और सहायक भूमिकाएँ निभाई है। उन्होंने 1972 से 1991 के मध्य पूर्व-सुपरस्टार अभिनेता राजेश खन्ना के साथ 25 फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई है।

               हिंदी सिनेमा में असरानी ने 1966 से लेकर 2013 तक हास्य-कलाकार [कॉमेडियन] अनेक भूमिकाएँ निभाई है। इसके आलावा उन्होंने 1972 से लेकर 1994 तक फिल्मों के हीरो के दोस्त जैसी सहायक अभिनेता की भूमिकाएँ साकार की है।

 

जन्म एवं प्राम्भिक जीवन : -

          हम जिन्हे असरानी के नाम से जानते है, वास्तव में उनका नाम गोवर्धन असरानी है। वे एक मध्यमवर्गीय सिंधी परिवार से आते है। गोवर्धन असरानी का जन्म 1 जनवरी 1940 में जयपुर में हुआ। उनके पिता कालीन के व्यापारी थे। गोवर्धन असरानी को चार बहने तथा तीन भाई है।

शिक्षा : - 

         असरानी को प्रारम्भ से ही पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं थी। वैसे इसकी वज़ह वे गणित विषय में कमजोर थे। खैर, किसी तरह उन्होंने सेंट जेवियर्स स्कूल से मेट्रिक की पढ़ाई पूर्ण की।

         उन्होंने स्नातक की पढ़ाई जयपुर के राजस्थान कॉलेज से  पूर्ण की। उनकी यह विशेषता है कि अपनी पढ़ाई की फीस देने के लिए उन्होंने जयपुर स्थित ऑल इंडिया रेडियो में आवाज कलाकार के रूप में कार्य किया है। 

कॅरियर : -   

          गोवर्धन असरानी ने 1960 से 1962 तक कालभाई ठक्कर से अभिनय का पाठ पढ़ना आरम्भ कर दिया था। इसी वर्ष अभिनय करने का अवसर तलाशने असरानी मुंबई पहुँचे। 1963 में किशोर साहू तथा हृषिकेश मुखर्जी से आकस्मिक मुलाकात हुई, जिसमे दोनों ने असरानी को व्यवसायिक अभिनय सीखने की सलाह दी। उनकी सलाह पर अभिनय का पाठ पढ़ने असरानी 1964 में  पुणे पहुँच गए। उन्होंने पुणे फिल्म संस्थान में दाखिला लिया। वहाँ पर उन्होंने दो वर्षों का अपना पाठ्यक्रम 1966 में पूर्ण किया।

पहला ब्रेक : -

           अगले वर्ष ही निर्माता-निर्देशक किशोर साहू ने अपनी फिल्म "हरे कांच की चूड़ियाँ" में अभिनेता बिस्वजीत के मित्र की भूमिका असरानी को दी। इसी के साथ असरानी को हिन्दी फिल्मों में 1967 में पहला ब्रेक मिला।


          इसी वर्ष असरानी ने एक नवोदित अभिनेत्री वहीदा के साथ एक गुजराती फिल्म में लीड रोल निभाया। उनका गुजराती फिल्मों में नायक या सहायक अभिनेता के रूप में भूमिका निभाने का सिलसिला 1969 तक जारी रहा।

           1969 में हृषिकेश मुख़र्जी ने बंगाली उपन्यास पर आधारित अपनी फिल्म "सत्यकाम" में असरानी को सहायक अभिनेता की भूमिका दी। इस फिल्म के पश्चात निर्देशक गुलजार ने 1971 में फिल्म "मेरे अपने" में अभिनय का अवसर प्रदान किया।

          इन फिल्मों के पश्चात असरानी को फिल्मों के अनेक ऑफर्स मिलने लगे। 1971 से 74 तक असरानी की मांग बहुत बढ़ चुकी थी। असरानी करीब 100 फिल्मों में हास्य-सहायक अभिनेता के रूप में नजर आये। 1979 में फिल्म "बावर्ची" के सेट पर असरानी की मित्रता जानेमाने अभिनेता राजेश खन्ना से हुई। इसी मित्रता के चलते असरानी ने राजेश खन्ना के साथ 25 फिल्मों में भूमिका निभाई।

असरानी का विवाह : -              

                                                                                 
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मंजू असरानी और गोवर्धन असरानी



                  1973  में निर्देशक राजेन्द्र भाटिया की कॉमेडी फिल्म "आज की ताज़ा खबर" और हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म "नमक हराम" के सेट पर 1970 से 80 के दशक की अभिनेत्री मंजू बंसल से प्रेम होने के पश्चात दोनों ने विवाह कर लिया। इस तरह मंजू बंसल तब मंजू असरानी बन गई।

                   विवाह के पश्चात इस दंपत्ति ने एक साथ अनेक फिल्मों में अभिनय किया है। जिनमे निर्माता ताराचंद बड़जात्या की फिल्म "तपस्या [1976]" प्रमुख है। इन फिल्मों के आलावा निर्माता संजय खान की फिल्म "चांदी सोना [1977]" , निर्देशक प्रयाग राज की फिल्म "चोर सिपाही [1977]" , निर्माता जगदीश सी. शर्मा की फिल्म "नालायक [1978]" , निर्देशक प्रकाश कपूर की फिल्म "जान-ए-बहार [1979]" , निर्माता देबेश घोष की फिल्म "जुर्माना [1979]" और निर्देशक एन. डी. कोठारी की फिल्म "सरकारी मेहमान [1979]" जैसी फ़िल्में शामिल है।

भिन्न भिन्न रोल : -

                       अंग्रेजों के जमाने के जेलर असरानी ने कई फिल्मों में सहायक अभिनेता की भूमिकाओं के आलावा भिन्न-भिन्न चरित्र वाली भूमिकाएँ निभाई है। उन्होंने पहली बार 1977 में  निर्माता बाबू मेहरा की फिल्म "खून पसीना" में एक गंभीर भूमिका निभाई। वहीं 1972 में फिल्म "कोशिश" में एक दुष्ट भाई की भूमिका निभाई है।

निर्माता - निर्देशक के रूप में : -  

                        असरानी ने पहली बार गुजराती फिल्म "अमदावाद नो रिक्शावाला" का निर्देशन 1974 में किया था। इस फिल्म में स्वयं उन्होंने ही मुख्य भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1982 में अपने साथी कलाकारों दिनेश हिंगू, हरीश पटेल तथा सलीम परवेज के साथ मिलकर एक गुजराती प्रोडक्शन कंपनी की स्थापना की थी।

                  गोवर्धन असरानी ने 1977 में फिल्म "चला मुरारी हीरो बनने" , 1979 में फिल्म "सलाम मेमसाब" , 1980 में फिल्म "हम नहीं सुधारेंगे" , 1992 में फिल्म "दिल ही तो है" और 1997 में फिल्म "उड़ान" का निर्देशन किया था।

असरानी की प्रमुख फ़िल्में : -

 [1] "सत्यकाम 1969" [2] "मेरे अपने" और "गुड्डी 1971" [3] "पिया का घर" , "कोशिश" और "सीता और गीता 1972" [4] "अभिमान" , "अनामिका" और "परिचय 1973" [5] "अजनबी" और "आप की कसम 1974" [6] "चुपके चुपके" , "शोले" , "रफू चककर" और "छोटी-सी बात 1975" [7] "बालिका बधु 1976" [8] "अलाप" और "कलाबाज़ 1977" [9] "पति पत्नी और वह" तथा "बदलते रिश्ते 1978" [10] "सरगम" , "दो लड़के दोनों कड़के 1979" [11] "द बर्निंग ट्रैन" और "एग्रीमेंट 1980" [12] "आसपास" , "एक ही भूल" , "मेरी आवाज सुनो" , "जमाने को दिखाना है" और "एक दूजे के लिए 1981" [13] "निकाह 1982" [14] "हिम्मतवाला 1983" [15] "तेरी मेहरबानियाँ 1985" [16] "आज का अर्जुन 1990" [17] "जो जीता वही सिकंदर 1992" [18] "दिल तेरा आशिक़" और "मुकाबला 1993" ऐसी अनेक फ़िल्में असरानी के फेहरिस्त में दर्ज है।

अवार्ड्स : -

            1974 में फिल्म '' आज की ताजा खबर '' के लिए फिल्मफेयर द्वारा '' बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर '' अवार्ड। 

          1977 में फिल्म '' बालिका बधु '' के लिए फिल्मफेयर द्वारा ''बेस्ट परफॉरमेंस इन ए कॉमिक रोल ''अवार्ड। 








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