हिंदी सिनेमा के खतरनाक विलेन - प्राण |
भारतीय हिन्दी सिनेमा के इतिहास में सबसे महान खलनायक और 1940 के दशक से हिन्दी सिनेमा में चरित्र अभिनेता के रूप में तथा सबसे खतरनाक विलेन प्राण को सन्मानित दिग्गज अभिनेताओं में से एक माना जाता है। अभिनेता प्राण अपने समय के सबसे अधिक फीस लेनेवाले अभिनेता थे।
प्राण ने 1940 से लेकर 1947 तक नायक की भूमिकाएं निभाई है। उन्होंने 1942 से 1991 तक नकारात्मक भूमिकाएं निभाई।1967 से 2007 तक प्राण ने हिंदी सिनेमा में सहायक कलाकार और चरित्र भूमिकाएं निभाई
है।
प्राण ने 1940 दशक के अंत ,1950 के दशक,1960 के दशक में और 1970 के
दशक की शुरुवात में उनकी एक शत्रुतापूर्ण चरित्र अभिनेता के रूप में प्राण
का कार्यकाल चरम पर था। वैसे 1950 और 1960 के दशक में अभिनेता प्राण हिंदी
सिनेमा के स्क्रीन पर एक '' निर्दयी '' का सच्चा अवतार थे। इस दौरान भारतीय लोग
अपने बच्चों का नाम '' प्राण '' रखने से परहेज किया करते थे।
विभिन्न भूमिकाओं में अभिनेता प्राण |
जन्म एवं शिक्षा : -
हिंदी सिनेमा के खतरनाक विलेन अभिनेता प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में हुआ। उनका पूरा नाम '' प्राण कृष्ण सिकंद अहलूवालिया '' था, परन्तु वे फ़िल्मी दुनिया में केवल प्राण के नाम से जाने जाते थे। उनके पिता लाला केवल कृष्ण सिकंद एक सरकारी ठेकेदार हुआ करते थे।
प्राण के पिता आमतौर पर सड़क और पूलों का निर्माण किया करते थे इस कारण अपने पुत्र की शिक्षा विभिन्न स्थानों पर कराई जैसे कपूरथला, उन्नाव, मेरठ, देहरादून तथा रामपुर में हुई है। अपनी शिक्षा के पश्चात उन्होंने बतौर लाहौर में अपना फोटोग्राफर का कैर्रिएर आरम्भ किया था।
1940 में प्राण की पहली पंजाबी फिल्म '' यमला जाट '' का पोस्टर |
फिल्मों की ओर : -
हिंदी सिनेमा के विलेन प्राण जब लाहौर में अपना फोटोग्राफी के व्यवसाय में व्यस्त थे, तब उन्हें निर्देशक मोती गिडवानी ने अपनी पंजाबी फिल्म '' यमला जाट '' [1940] के लिए साइन कर लिया। इस फिल्म में उनकी प्रमुख थी। उनके सह- कलाकारों में एम्. इस्माइल और नूर जहान थे।
प्राण लाहौर फिल्म इंडस्ट्री में एक खलनायक के तौर पर उभर चुके थे। उन्होंने देश के बँटवारे से पहले कुल 22 फिल्मों में नेगेटिव रोल निभाया था।
हिंदी फिल्मों में ब्रेक : -
अभिनेता प्राण की प्रथम फिल्म '' खानदान '' का पोस्टर |
1942 में निर्देशक शौकत हुसैन रिज़वी ने अपनी मुस्लिम सामजिक बॉलीवुड फिल्म '' खानदान '' के लिए प्राण को साइन कर लिया। उनकी सह - नायिका थी नूरजहाँ। इस फिल्म की यह विशेषता रही है कि नूरजहाँ को रातों - रात स्टारडम मिल गया था।
हिंदी सिनेमा के दिग्गज विलेन प्राण ने 1954 निर्देशक एच. एस. क्वात्रा की कॉमेडी फिल्म '' पिलपिली साहब '' में इनकी नायिका थी श्यामा। इस फिल्म को सरदुल क्वात्रा ने संगीत दिया था।1956 में निर्देशक डी. डी. कश्यप की फिल्म '' हलाकू '' में भी मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में उनकी नायिका थी ट्रेजिडी क्वीन मीना कुमारी।
एक विलेन के रूप में प्राण के विभिन्न फिल्मों के छायाचित्र |
देश केविभाजन के पश्चात प्राण के फ़िल्मी करियर को ब्रेक-सा लग गया। इससे पहले उनकी दो फ़िल्में "तराश" और फिल्म "खानाबदोश" पाकिस्तान में प्रदर्शित हो चुकी थी।
प्राण कृष्ण सिकंद अहलूवालिया लाहौर छोड़कर मुंबई पहुँच चुके थे। वे फिल्मों में अभिनय की तलाश में थे, इस ब्रेक के दौरान उन्होंने मुंबई के एक होटल में कार्य भी करते रहे। उनकी फिल्मों की तलाश रंग लाई। लेखक सादत हसन मण्टो तथा अभिनेता श्याम की साहयता से प्राण को 1948 में बॉम्बे टॉकीज की फिल्म "ज़िद्दी" में अभिनय करने का अवसर प्राप्त हो गया। फिल्म के नायक देव आनंद और अभिनेत्री कामिनी कौशल थी।
फिल्म "ज़िद्दी" से ही प्राण एक विलेन के रूप में स्थापित हो गए थे। उनकी सफलता के कारण उन्हें अभिनेता दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद अभिनीत फिल्मों में निगेटिव रोल मिलने लगे।
विलेन प्राण फिल्म ''विक्टोरिया नंबर 203 '',फिल्म''डॉन '' और फिल्म ''अमर अकबर अंथोनी '' में। |
1958 में निर्देशक बिमल रॉय की फिल्म "मधुमती" , 1960 में निर्देशक राधू कर्मकार की फिल्म "जिस देश में गंगा बहती है" , 1967 में अभिनेता-निर्देशक मनोज कुमार की फिल्म "उपकार" , 1965 में निर्देशक एस. राम सहरमा की फिल्म "शहीद" , 1970 में मनोज कुमार की ही फिल्म "पूरब और पश्चिम" , 1967 निर्देशक तापी चाणक्या की फिल्म "राम और श्याम" इन लोकप्रिय फिल्मों में विलेन प्राण की भूमिकाएँ बहुत ही प्रभावशाली रही है, जो उन्हें यादगार बनाया है।
प्राण कृष्ण सिकंद अहलूवालिया विभिन्न भूमिका में |
प्राण की कुछ फ़िल्में :-
'' गुमनाम '' [1965],
'' पत्थर के सनम'' [1967], '' साधू और शैतान '' [1968], '' जॉनी मेरा नाम
'' [1970], '' जंगल में मंगल '' [1972], '' परिचय '' [1972], '' बॉबी ''
[1973], '' जुगनू '' [1973], '' जंजीर '' [1973], '' कसौटी '' [1974], ''
मजबूर '' [1974], '' सन्यासी '' [1975], '' चोरी मेरा काम '' [1975], '' दस
नम्बरी '' [1976], '' धरमवीर '' [1977], '' देस परदेस '' [1978], '' गंगा
की सौगन्द '' [1978], '' डॉन '' [1978], '' दोस्ताना '' [1980], '' कर्ज ''
[1980], '' नसीब '' [1981], '' कालिया '' [1981], '' अंधाकानून '' [1983],
'' नास्तिक ''[1983], '' शराबी '' [1984], '' पाताल भैरवी '' [1985] और ''
सनम बेवफा '' [1991] इन फिल्मों के अतिरिक्त ऐसी ही अनेक फ़िल्में बॉलीवुड
के इतिहास में दर्ज है। प्राण ने करीब 400 फिल्मों में अभिनय किया है।
पुरस्कार एवं सम्मान : -
नागरिक पुरस्कार
2002 में भारत सरकार द्वारा तीसरा सर्वाच्च नागरिक पुरस्कार - '' पद्मभूषण '' प्रदान किया गया।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
2013 में भारत सरकार द्वारा आजीवन उपलब्धि के लिए '' दादा साहेब फाल्के '' पुरस्कार।
फिल्मफेयर पुरस्कार
1967 में फिल्म '' आंसू बन गए फूल '' के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता।
1972 में फिल्म '' बे - ईमान '' के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता।
1997 में विशेष पुरस्कार।
बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट' स एसोसिएशन पुरस्कार
1961-सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फिल्म " जिस देश में
गंगा बहती है "
1966-सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फिल्म "शहीद "
1973-सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फिल्म "ज़ंजीर। "
अन्य पुरस्कार
1972-73 में चित्रलोक सिने सर्कल अहमदाबाद: " सर्वश्रेष्ठ चरित्र कलाकार
पुरस्कार "।
1975-76-बॉम्बे फ़िल्म पुरस्कार: सर्वाधिक बहुमुखी अभिनेता पुरस्कार।
1977-78-बॉम्बे फ़िल्म पुरस्कार: सर्वाधिक बहुमुखी अभिनेता पुरस्कार।
1978-नॉर्थ बॉम्बे जेसीज़: सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता पुरस्कार।
1984-बॉम्बे फ़िल्म अवार्ड द्वारा " अभिनय के जादूगर के रूप में
असाधारण विशेष पुरस्कार"।
1984-फ़िल्मगोअर्स पुरस्कार: "अभिनय सम्राट" का शासनकाल।
1985-पंजाबी कला संगम द्वारा कला भूषण पुरस्कार प्रदान किया गया।
1987-नॉर्थ बॉम्बे जेसीज़: दशक का उत्कृष्ट प्रदर्शन।
समृद्ध मानव जीवन और उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए "विजयश्री पुरस्कार"
प्रदान किया गया। मैत्री समाज)
भावनात्मक कला में उत्कृष्टता के लिए "अर्स ग्रेटिया आर्टिस"।
1990-पंजाबी कल संगम द्वारा 50 गौरवशाली वर्षों के लिए कला रतन
पुरस्कार प्रदान किया गया।
1990-पंजाब एसोसिएशन: उद्योग में 50 वर्षों के लिए एक पुरस्कार।
1990-साउथहॉल लायंस क्लब लंदन: " फिल्म उद्योग में उनकी सेवाओं
की स्वर्ण जयंती के जश्न में चैरिटी के लिए अमूल्य सेवाओं की मान्यता में।
1992-भारतीय फिल्म उद्योग में उत्कृष्ट योगदान, इंडियन मोशन
पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन।
2000-स्क्रीन लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड।
2000-लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए ज़ी सिने अवार्ड।
2000-स्टारडस्ट अवार्ड्स द्वारा "विलेन ऑफ़ द मिलेनियम"।
2004-महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार की
स्थापना की गई।
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