बॉलीवुड के बहुमुखी कला के धनि कादर खान


          भारतीय हिंदी सिनेमा जगत के बॉलीवुड में कादर खान को एक विलेन और हास्य कलाकार के रूप में उनकी लोकप्रियता को आज भी याद किया जाता है। कादर खान ने हिंदी सिनेमा में अपने पारदर्शी तथा अभिनय कौशल के लिए खूब सन्मान और प्रशंसा प्राप्त की थी।

          कादर खान ने अपने कैरियर के दौरान अनेक प्रसिद्ध अभिनेताओं के साथ काम किया है, जिनमे धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और अनिल कपूर जैसे कलाकार शामिल थे। उन्होंने फिल्मों के आलावा नाटक,टी. वी. और रेडियो पर भी अपने अभिनय कौशल का प्रदर्शन किया था।                     

                                


  अभिनेता कादर खान अपने सह कलाकार धर्मेंद्र,
 अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और अनिल कपूर के साथ।


                     विलेन तथा हास्य कलाकार कादर खान ने अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शकों को हंसाया, रुलाया और मनोरंजित किया था। उनके अभिनय और कॉमेडी की टाइमिंग आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसी है। उनके बेहतरीन अभिनय के योगदान कारण भारतीय हिन्दी सिनेमा को एक नई दिशा दी है।                                             

प्रोफेसर, अभिनेता, पटकथा लेखक कादर खान  

जन्म एवं शिक्षा
: -6666

                    अभिनेता, पटकथा, लेखक और फिल्म निर्माता कादर खान का जन्म 22 अक्तूबर 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में एक सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता अब्दुल रहमान खान कंधार से थे तो उनकी माता पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त से थी। कादर खान का परिवार काकर जनजाति का पश्तूनी है। 

                  जब कादर खान का परिवार कुछ कारणों से काबुल से मुंबई के कामाठीपुरा क्षेत्र में आकर बस गया था। उस दौरान उनका पालन - पोषण यहीं पर हुआ था। कादर खान ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय नगरपालिका पाठशाला से पूर्ण की थी।                           

        

पटकथा लेखक कादर खान
           अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात उन्होंने ' इस्माइल युसूफ कॉलेज में प्रवेश लिया। आगे की पढ़ाई करते हुए सिविल इंजिनीअरिंग में विशेषता के साथ इंजिनीअरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। 

प्रोफेसर के रूप में : -

          1970 - 75 के बीच इस बहुमुखी कलाकार ने अपनी इंजिनीअरिंग के बाद मुंबई स्थित बायकला क्षेत्र के एम. एच. साबू सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया। 

 पटकथा लेखन कार्य : -

          पटकथा लेखक कादर खान ने हिन्दी सिनेमा के कई प्रमुख फिल्मों के लिए संवाद लिखे है जिनमे कई फ़िल्में सुपरहिट साबित हुई है, जिनमे जितेंद्र तथा अमिताभ बच्चन की लोकप्रिय फ़िल्में शामिल है।

         1970-80 दशक के सुपरस्टार राजेश खन्ना ने आशीर्वाद पिक्चर्स के बैनर तले 1974 में बनी फिल्म "रोटी" के संवाद लिखने के लिए पहली बार कादर खान को ब्रेक दिया था। इस फिल्म के पश्चात उन्होंने राजेश खन्ना के साथ फिल्म "महाचोर" , "छैला बाबू" , "धरम कांटा" , "फिफ्टी फिफ्टी" नया कदम "और" मास्टरजी " जैसी फिल्मों के लिए संवाद लिखे थे।
    

कादर खान की अन्य फ़िल्में  : -        

                                   "जवानी दीवानी [1972] ," "रफूचक्कर [1972] ," "खेल खेल में [1972]" , "बेनाम [1974]" , "अमर अकबर एंथोनी [1977]" , "खून पसीना [1977]" , "धरमवीर [1977]" , "परवरिश [1977]" , "मुकद्दर का सिकंदर [1978]" , "सुहाग [1979]" , "मिस्टर नटवरलाल [1979]" , "अब्दुल्लाह [1980]" , "याराना [1981]" , "देशप्रेमी [1982]" , "लावारिस [1982]" , "खुद्दार [1982]" , "नमक हलाल [1982]" , "कुली [1983]" , "मक़सद [1984]" , "क़ैदी [1984]" , "शराबी [1984]" , "आज का दौर [1985]" , "स्वर्ग से सुन्दर [1986]" , "हत्या [1988]" , "खून भरी मांग [1988]" , "दोस्त [1989]" , "कुली नंबर 1 [1995]" , "हीरो हिंदुस्तानी [1998]" और फिल्म " आंटी नंबर 1 [1998] जैसी अनेक फिल्मों के लिए संवाद लिखे है।  

कादर खान के यादगार डायलॉग्स : -

 1] '' जिंदा है वो लोग जो मौत से टकराते हैं...मुर्दों से भटकते हैं वो लोग जो मौत से टकराते हैं '' फिल्म  '' मुकद्दर का सिकंदर।  ''

2] ''औरों के लिए गुनाह सही... हम पिये तो शबाब बनती है... अरे सौ गमो को निचोड़ने के बाद... एक कतरा शराब बनती है '' फिल्म  -  नसीब।

3] ''जिंदगी में तूफ़ान आये, कयामत आये...मगर कभी दोस्ती में दरार न आये '' फिल्म - आतिश।

4] '' जिंदगी का अगर सही लफ्ज़ उठाना है ना...तो मौत से खेलो ''  फिल्म -मुकद्दर का सिकंदर।

5]  '' दुख जब हमारी कहानी सुनता है तो खुद दुख को दुख होता है ''  फिल्म - बाप नंबरी बेटा दस नंबरी।

6] '' तुम्हारी ये बात सुनकर मेरा दिल हैदराबाद की तरह आबाद हो गया '' फिल्म - हिम्मतवाला।

7] '' जिंदगी तो खुदा की रहमत है... जो नहीं समझा उसकी जिंदगी पे लानत है '' फिल्म  - नसीब। 

8] '' दुनिया की कोई जगह इतनी दूर नहीं है जहां जुर्म के पांव में कानून... अपनी फौलादी जंजीरें पहचान ना सके '' फिल्म  - शहंशाह।

9]  '' सुख तो बेवफा है...चंद  दिनों के लिए आता है और चला जाता है ''  फिल्म - मुकद्दर का सिकंदर।

कॉमेडियन के रूप में : -


1] 1994 में निर्माता पहलाज निहलानी की फिल्म '' आँखें '' में '' हँसमुख '' के किरदार में। 

2] 1994 में निर्माता चंपक जैन की फिल्म '' मै खिलाडी तू अनाड़ी '' में '' रामलाल / कमिश्नर '' के किरदार में। 

3] 1996 में निर्माता वासु भगनानी की फिल्म '' कुली नंबर 1'' में ''होशियारचन्द '' के किरदार में। 

4] 1997 में निर्देशक डेविड धवन की फिल्म '' साजन चले ससुराल '' में '' धीरेन्द्र खुराना '' के किरदार में। 

5] 1999 में निर्माता हर्मेश मल्होत्रा की फिल्म '' दुल्हे राजा '' में '' के. के. सिंघानिया '' के किरदार में। 

6] 1983 में निर्देशक के. राघवेन्द्र राव की फिल्म '' हिम्मतवाला '' में '' नारायणदास गोपालदास, मुनीमजी '' के किरदार में।   

 पुरस्कार एवं अवॉर्ड : -

                                   फिल्मफेयर अवार्ड्स 

1] बेस्ट डायलोग्स  के लिए फिल्म '' मेरी आवाज सुनो '' के लिए 1982 में अवार्ड। 

2] बेस्ट डायलोग्स  के लिए फिल्म '' अंगार '' के लिए 1993 में अवार्ड।

3 ] बेस्ट कॉमेडियन के लिए फिल्म '' बाप नम्बरी बीटा दस नम्बरी '' के लिए 1991 में अवार्ड। 

मृत्यु एवं बीमारी : - 

               बहुमुखी अभिनेता कादर खान ने अपने फ़िल्मी जीवन में एक्टर, कॉमेडियन, पटकथा लेखक और खलनायक जैसे विभिन्न तीनसौ से अधिक फिल्मों में किरदार निभाए है। परन्तु ऐसे महान कलाकार को 'प्रोग्रेसिव सुपरनुक्लेअर पाल्सी' जैसी भयंकर बीमारी ने दबोच लिया था।

यह एक ऐसी भयंकर बीमारी है, जिसमे डिसऑर्डर मष्तिष्क में नर्व सेल्स के नष्ट होने के कारण होती है। इस बीमारी से पीड़ित होने पर ब्रेन का मसल्स से कंट्रोल खराब हो जाता है। इस कारण पीड़ित अपनी आँखों पर नियंत्रण नहीं रख पाता है।

28 दिसम्बर 2018 में कनाडा में "साँस फूलने" की शिकायत पर कादर खान को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आखिरकार लम्बी बीमारी के पश्चात 31 दिसम्बर 2018 को हिन्दी सिनेमा जगत के बहुमुखी अभिनेता, कलाकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका अंतिम संस्कार ब्रेम्पटन के मीडोवेल कब्रिस्तान में किया गया था।