हिंदी सिनेमा कल और आज
भारत में प्रदर्शित पहली फिल्म 1896 में " Arrival of a Train" का पोस्टर |
भारतीय सिनेमा का एक लम्बा और घटनापूर्ण इतिहास है जो एक सदी से भी अधिक समय तक फैला है। फ्रांस के लुमिए ब्रदर्स [अगस्ते मेरी लुइस निकोलस लुमियरे और लुइस जीन लुमियरे] की भारत में प्रदर्शित पहली फिल्म 1896 में "Arrival of a Train" थी। हालांकि पहली भारतीय फिल्म "राजा हरिश्चंद्र" दादा साहेब फाल्के द्वारा 1913 में बनाई गई थी।
भारतीय सिनेमा का मूक युग 1930 के दशक के मध्य तक चला। इस अवधि के दौरान, फिल्मों में तबला, हारमोनियम और सारंगी जैसे भारतीय वाद्ययंत्रों की संगत के साथ लाइव संगीत भी शामिल था।
शास्त्रीय भारतीय वाद्ययंत्र |
हिंदी सिनेमा में ध्वनि युग : -
फिल्म " आलम आरा "का पोस्टर
भारतीय हिन्दी सिनेमा में ध्वनि युग की शुरुवात 1937 में फिल्म "आलम आरा" की रिलीज़ के साथ हुई, जो पहली भारतीय टॉकी थी। इसके बाद सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्मों बाढ़ आ गई, जैसे वी. शांताराम की फिल्म "दुनिया ना माने" , जो बाल विवाह और घरेलु हिंसा जैसे मुद्दों पर आधारित होती थी।
भारतीय हिन्दी सिनेमा में ध्वनि युग की शुरुवात 1937 में फिल्म "आलम आरा" की रिलीज़ के साथ हुई, जो पहली भारतीय टॉकी थी। इसके बाद सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्मों बाढ़ आ गई, जैसे वी. शांताराम की फिल्म "दुनिया ना माने" , जो बाल विवाह और घरेलु हिंसा जैसे मुद्दों पर आधारित होती थी।
1950 और 1960 के दशक को भारतीय सिनेमा का स्वर्ण युग माना जाता है, जिसमे "मदर इंडिया" , "मुगल-ए-आज़म और" प्यासा " जैसी क्लासिक फ़िल्में बन गई। इस युग में दिलीप कुमार, राज कपूर और देवआनंद जैसे दिग्गजों का भी उदय हुआ।
राजकपूर,दिलीप कुमार और देवआनंद |
1970 और 1980 के दशक में एक्शन फिल्मों का उदय हुआ और अमिताभ बच्चन बॉलीवुड के निर्विवाद राजा बन गए। इन दशकों में समानांतर सिनेमा का भी उदय हुआ, जिसमे सत्यजीत रे, मृणाल सेन और श्याम बेनेगल जैसे फिल्म निर्माताओं ने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फ़िल्में बनाई जो सामजिक मुद्दों से जुडी थी।
समानांतर और व्यावसायिक सिनेमा : -
समानांतर सिनेमा और व्यावसायिक सिनेमा यह दोनों विधाएँ हिंदी सिनेमा
समानांतर सिनेमा में "आक्रोश" [1980] , "अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है" [1980] , "भूमिका" [1977] , "बज़ार" [1982] , "दुविधा" [1973] और "गरम हवा" [1974] जैसी अनेक फिल्मों का निर्माण हुआ।
समानांतर सिनेमा के पोस्टर |
1]
राजकपूर: भारतीय सिनेमा के "शोमैन" के रूप में जाने जानेवाले राजकपूर न
केवल एक असाधारण अभिनेता थे, बल्कि एक प्रशंसित फिल्म निर्माता भी थे।
उन्होंने "आवारा" , "श्री 420" और "मेरा नाम जोकर" जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों
का निर्देशन और निर्माण किया, जिन्हे भारतीय सिनेमा में क्लासिक्स मन जाता
है।
2] बिमल रॉय: बिमल रॉय अपनी यथार्थवादी और सामाजिक रूप से
प्रासंगिक फिल्मों के लिए जाने जाते थे। उनकी कृतियों में "दो बीघा जमीन" ,
"देवदास" और "बंदिनी" जैसी फ़िल्में शामिल है, जिनमे मानवीय संघर्षों,
सामाजिक मुद्दों और भावनाओं को बड़ी गहराई से दर्शाया गया है।
3]
गुरुदत्त: गुरुदत्त एक बहु-प्रतिभाषाली फिल्म निर्माता थे, जिन्होंने एक
अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
उन्होंने "प्यासा" , "कागज़ के फूल" और "साहब बीबी और गुलाम" जैसी फिल्मों
का निर्देशन और अभिनय किया, जिसमे उनकी अद्वितीय कलात्मक दृष्टी और जटिल
विषयों की खोज का प्रदर्शन किया।
4] मेहबूब खान: मेहबूब खान अपनी
भव्य और महाकाव्य फिल्म निर्माण शैली के लिए जाने जाते थे। उनकी सबसे
प्रसिद्ध फिल्म "मदर इंडिया" आज भी सर्वकालिक महान भारतीय फिल्मों में से
एक मानी जाती है। उन्होंने "आन" और "अंदाज़" जैसी अन्य उल्लेखनीय फिल्मों का
भी निर्देशन किया है।
5] सत्यजीत रे: हालांकि सत्यजीत रे मुख्य रूप
से बंगाली सिनेमा से जुड़े थे, लेकिन सत्यजीत रे का प्रभाव भारतीय हिन्दी
सिनेमा के स्वर्णयुग तक फैला हुआ था। उनकी पहली फिल्म "पाथेर पांचाली" इसके
सीक्वल "अपराजितो" और "अपुर संसार" के साथ आंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय
हिन्दी सिनेमा को आलोचकों की प्रशंसा मिली।
कई अन्य लोगों के अलावा,
इन फिल्म निर्माताओं ने स्वर्ण युग के दौरान भारतीय सिनेमा के परिदृश्य को
आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके योगदान ने उद्योग पर एक
स्थायी प्रभाव छोड़ा है।
1990 और 2000 के दशक :-
1990 और 2000 के दशक में अधिक व्यावसायिक और मुख्यधारा सिनेमा की ओर बदलाव देखा गया। इस अवधि में शाहरुख खान, आमिर खान और सलमान खान जैसे नए सितारों का उदय हुआ, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर दबदबा बनाया। रोमांटिक कॉमेडी, थ्रिलर और विज्ञान-फाई फिल्मों के उदय के साथ, बॉलीवुड ने भी अधिक विविध शैलियों को अपनाना शुरू कर दिया।
सलमान खान,आमिर खान और शाहरुख़ खान |
अभिनेत्री शिल्पशेट्टी, माधुरी दीक्षित,श्रीदेवी और ऐश्वर्याराय बच्चन |
ऐसी अभिनेत्रियों में श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्यराय बच्चन और शिल्पा शेट्टी जैसी अभिनेत्रियों ने हिन्दी सिनेमा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारतीय हिन्दी सिनेमा ने अपने आरंभिक, स्वर्णयुग और आज आधुनिक युग में फिल्मों ने निरंतर प्रगति करते हुए अनगिनत कलाकारों, उद्योग से जुड़े तकनिकी कलाकारों को आर्थिक स्वतंत्र प्रदान करते हुए देश की आर्थिक स्थिति सुधरने में भूमिका निभाई है।
सिनेमा के इतिहास में बॉक्सऑफिस टॉप में नाम दर्ज करनेवाली कुछ फ़िल्में:
बॉलीवुड बॉक्सऑफिस पर टॉप फिल्मों के पोस्टर |
यहाँ, बॉक्स ऑफिस पर टॉप कलेक्शन करनेवाली कुछ उल्लेखनीय हिन्दी फिल्मों की सूचि दी गयी है-
फिल्म " बाहुबली 2: द कन्क्लूजन [2017] निर्देशक एस. एस. राजमौली।
फिल्म "दंगल" [2016] निर्देशक नितेश तिवारी।
फिल्म "बजरंगी भाईजान" [2015] निर्देशक कबीर खान।
फिल्म "सिक्रेट सुपरस्टार" [2017] निर्देशक अद्वैत चन्दन।
फिल्म "पी. के." [2014] निर्देशक राजकुमार हिरानी।
फिल्म "सुलतान" [2016] निर्देशक अली अब्बास ज़फर।
फिल्म "संजू" [2018] निर्देशक राजकुमार हिरानी।
फिल्म "पद्मावत" [2018] निर्देशक संजय लीला भंसाली।
फिल्म "धूम" [2013] निर्देशक विजय कृष्णा आचार्य।
आज, भारतीय हिन्दी सिनेमा लगातार विकसित हो रहा है और दर्शकों की बदलती पसंद और तकनिकी प्रगति के अनुरूप ढल रहा है। स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म के उद्भव हुए सिनेमा के वैश्वीकरण के साथ, हिन्दी फ़िल्में पहले से कहीं अधिक व्यापक दर्शकों तक पहुँच रही है।
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