अभिनेत्री साधना शिवदासानी

                                                         

                                  साधना शिवदासानी, जिन्हे साधना के नाम से जाना जाता था। भारतीय हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा थी, जिन्होंने अपनी खूबसूरती, अभिनय और अनूठी शैली से बॉलीवुड में अमिट छाप छोड़ी है। उनकी लोकप्रियता में उनकी हेयरस्टाइल भी महत्वपूर्ण साथ दे गयी। भले ही आज अभिनेत्री साधना हमारे बीच नहीं है, परन्तु आज भी साधना कट महिलाओं की यादों में बसा है।   

जन्म : -

                 साधना का जन्म 2 सितम्बर 1941 को कराची [ अब पाकिस्तान ] में हुआ था। भारत विभाजन के पश्चात उनका परिवार मुंबई आ गया, जहां साधना का पालन - पोषण हुआ। उनके माता पिता सिंधी थे, और उनका नाम मशहूर अभिनेत्री साधना बोस के नाम पर रखा गया था। 

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शिक्षा एवं करियर की शुरुवात : -   

                    साधना ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई में पूरी की और बहुत ही छोटी उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था।  जब वह मात्र सात वर्ष की थी तब 1955 में फिल्म " श्री 420 " में बिना श्रेय के अभिनय करने के पश्चात वे निर्देशक शशधर मुखर्जी की शिष्या बन गयी। 

                  इसके बाद साधना ने उषा खन्ना के निर्देशन में बनी फिल्म " अबाना " [ 1958 ] में मुख्य भूमिका निभाई। यह एक सिंधी फिल्म थी, जिसने साधना को फिल्म इंडस्ट्री में एक पहचान दी। लेकिन हिंदी सिनेमा में उनकी असली शुरुवात 1960 में प्रदर्शित फिल्म " लव इन शिमला " से हुई, जिसे आर. के. नैय्यर ने निर्देशित किया था। इस फिल्म ने साधना को रातों रात स्टार बना दिया। 

साधना का फैशन आइकॉन के रूप में उदय : -

                                           

साधना का फैशन आइकॉन

              फिल्म " लव इन शिमला " के दौरान साधना ने अपनी अनूठी हेयरस्टाइल अपनाई, जिसे " साधन कट " कहा जाता है। यह हेयरस्टाइल हॉलीवुड की अभिनेत्री औड्रे हैपबर्न से प्रेरित थी और इसने साधना को एक फैशन आइकॉन बना दिया। उस समय यह हेयरस्टाइल इतनी लोकप्रिय हुई कि हर दूसरी महिला इसे अपनाने लगी। साधना कट सिर्फ एक   हेयरस्टाइल नहीं, बल्कि उस दौर का एक फैशन ट्रेंड बन गया था, जिसने साधना को एक स्टाइल आइकॉन बना दिया था।                                         

फिल्म " लव इन शिमला " का पोस्टर
सफलता की बुलंदियों पर साधना : - 

                 1960 और 1970 का दशक साधना के करियर का स्वर्णिम काल था। इस दौरान उन्होंने कई सुपरहिट फ़िल्में दी, जिनमे फिल्म " हम दोनों " [ 1961 ], " असली - नकली " [ 1962 ], " मेरे महबूब " [1963 ], " राजकुमार " [1964 ], " वो कौन थी "[ 1964 ], " आरजू " [ 1965 ], " मेरा साया " [1966] और " एक फूल दो माली " [ 1969 ] जैसी फ़िल्में शामिल है। साधना ने अपनी हर भूमिका में ख़ास छाप छोड़ी है।  

                साधना की फिल्म " वो कौन थी " में उन्होंने एक रहस्यमयी और ग्लैमरस अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर दिया।  फिल्म के गाने " नैना बरसे रिमझिम रिमझिम " और " लग जा गले " आज भी अमर है और साधना के किरदार को लोगों के दिलों में बसा दिया। " आरजू " में उन्होंने एक रोमांटिक किरदार निभाया, जिसमे उनका और अभिनेता राजेंद्र कुमार का अभिनय दर्शकों को बेहद पसंद आया।  साधना ने उस दौर के लगभग सभी बड़े सितारों के साथ काम किया, जिनमे देवानंद, राजकपूर,शम्मी कपूर,मनोज कुमार और सुनील दत्त प्रमुख है।  

                                         

साधना अपने पति  आर. के. नैय्यर के साथ
साधना का व्यक्तिगत जीवन : -

                  साधना का व्यक्तिगत जीवन भी उतना ही दिलचस्प था, जितना कि उनका फ़िल्मी करियर उन्होंने 1966 में फिल्म निर्देशक आर. के. नैय्यर से विवाह किया। दोनों की मुलाकात फिल्म " लव इन शिमला " के सेट हुई थी और जल्द ही दोनों के बीच प्यार पनपने लगा आर. के. नैय्यर और साधना का वैवाहिक जीवन सुखद था, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें कोई संतान नहीं हुई। इसके बावजूद साधना और आर.के. नैय्यर ने एक दूसरे का साथ जीवन भर निभाया। साधना ने अपने पति की मृत्यु के बाद अकेले जीवन बिताया और सार्वजनिक जीवन से दुरी बना ली।  
                                                    

साधना द्वारा निर्देशित फिल्म " गीता मेरा नाम " का पोस्टर

करियर का ढलान और फ़िल्मी जीवन से दुरी : -

                        1970 के दशक के अंत तक साधना ने फिल्मों से धीरे - धीरे दुरी बना ली। उन्होंने 1974 में आयी फिल्म " गीता मेरा नाम " में आखिरी बार काम किया, जिसे उन्होंने खुद निर्देशित भी किया था। इस फिल्म के बाद साधना ने फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया।  उनकी आँखों में तकलीफ होने के कारण उन्हें सर्जरी करवानी पड़ी, जिससे उनकी सेहत पर भी असर पड़ा।   

                    साधना ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में फिल्म इंडस्ट्री से पूरी तरह दुरी बना ली। उन्होंने अपनी पहचान को बनाय रखते हुए एकांत का जीवन व्यतीत किया। उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा, लेकिन साधना ने कभी भी पुनः फिल्मों में वापसी नहीं की। 

                                              

अभिनेत्री साधना की अंतिम यात्रा

साधना का निधन और उनकी विरासत : -  

                    25 दिसम्बर 2015 को साधना का मुंबई में 74 वर्ष की आयु में निधन  हो गया। उनके निधन से हिंदी सिनेमा में एक युग का अंत हो गया। साधना ने अपने अभिनय, खूबसूरती और फैशन सेंस से बॉलीवुड को न केवल कई यादगार फ़िल्में दी, बल्कि एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया। उनकी फिल्मों के गाने, उनकी हेयरस्टाइल और उनका स्टाइल आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय है। 

                    साधना की विरासत भारतीय सिनेमा में अमर रहेगी। उन्हें न केवल एक बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में याद किया जाएगा, बल्कि एक ऐसी महिला के रूप में भी जो अपनी शर्तों पर जीती थी और जिसने अपने समय के फैशन और स्टाइल को परिभाषित किया। साधना की जिंदगी और करियर हमें यह सिखाते है कि सच्ची खूबसूरती आत्मविश्वास, सरलता और अपने आप में विश्वास रखने से आता है। साधना को उनके योगदान और उनकी फिल्मों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 

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