बॉलीवुड में डिस्को संगीत की क्रांति 

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 भारत में डिस्को म्यूजिक के जनक संगीतकार बप्पी लाहिड़ी

           बॉलीवुड में संगीत हमेशा से ही फिल्मों का अभिन्न हिस्सा रहा है। हर दौर में संगीत का एक नया रूप देखा गया है, चाहे वह 1950 - 60 के दशक का क्लासिकल संगीत हो या 1990 के दशक में पॉप संगीत का दौर। लेकिन 1970 और 1980 के दशक में एक ऐसा दौर आया, जिसने हिंदी सिनेमा को नए सिरे से परिभाषित किया और वह दौर था " डिस्को संगीत " का। 
                                      

          बॉलीवुड में डिस्को संगीत की शुरुवात ने न केवल भारतीय संगीत उद्योग को नई उंचाईयों पर पहुंचाया, बल्कि युवाओं के बीच भी इसे खूब पसंद किया गया है। इस संगीत शैली का आगमन और उसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय जाता है संगीतकार बप्पी लाहिड़ी को, जिन्होंने भारतीय संगीत को डिस्को बीट्स का प्रयोग कर इसे नया आयाम दिया है।

डिस्को संगीत का वैश्विक प्रभाव : -

                   डिस्को संगीत जड़े पश्चिमी देशों में 1970 के दशक में देखी  सकती है। इस दौर में अमेरिका और यूरोप में डिस्को म्यूजिक का बोलबाला था। इस शैली की पहचान तेज बीट्स, इलेक्ट्रॉनिक साउंड्स और फंकी वाइब्स से होती है, जिसने क्लब और डांस फ्लोर पर धूम मचा दी थी। अमेरिका में डिस्को संगीत के सबसे प्रसिद्ध उदाहरण में फिल्म "सैटरडे नाईट फीवर [ 1977 ] और उसके गाने शामिल है, जिसने दुनियाभर में डिस्को को लोकप्रिय बनाया। पश्चिमी देशो से शुरू हुआ यह संगीत धीरे - धीरे बॉलीवुड तक पहुंचाया और फिर संगीतकार बप्पी लाहिड़ी ने इसे अपने अनोखे अंदाज़ में प्रस्तुत किया है।     

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              अमेरिका में प्रदर्शित फिल्म " सैटरडे नाईट फीवर " [1977 ] का पोस्टर

 बॉलीवुड में डिस्को संगीत की शुरुवात : -

                             

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फिल्म " सुरक्षा " का पोस्टर 

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                 बॉलीवुड में डिस्को संगीत की शुरुवात का श्रेय सबसे पहले 1979 में प्रदर्शित फिल्म " सुरक्षा " को दिया जाता है, जिसमे बप्पी लाहिड़ी ने पहली बार डिस्को संगीत का प्रयोग किया है। हालांकि यह संगीत पश्चिमी डिस्को से प्रेरित था। परन्तु बप्पी लाहिड़ी ने इसमें भारतीय धुनों और तालों का सम्मिश्रण कर इसे बॉलीवुड के दर्शकों के लिए अनुकूल बनाया था।  

                 इस फिल्म के गानो ने बहुत बड़ी सफलता तो नहीं पायी, लेकिन यह एक शुरुवात मात्र थी। इसके पश्चात बप्पी लाहिड़ी ने कई फिल्मों में डिस्को संगीत का प्रयोग किया है, जिस कारण यह डिस्को शैली बॉलीवुड में धीरे धीरे प्रसिद्ध होती गई। 

डिस्को संगीत का धमाका : फिल्म "डिस्को डांसर " : - 

                                          

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भारत में बनी पहली डिस्को संगीत की फिल्म " डिस्को डांसर "

              1982 में प्रदर्शित फिल्म " डिस्को डांसर " ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में डिस्को संगीत को एक अलग ही मुकाम पर पहुँचाया दिया था। इस फिल्म का संगीत विशेष रूप से फिल्म का गीत " आई एम ए डिस्को डांसर " भारतीय बॉलीवुड के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। फिल्म के जानमाने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी अनूठी डिस्को डांसिंग शैली से युवाओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था तो वहीं बप्पी लाहिड़ी ने अपने डिस्को संगीत से चार चाँद लगाए। 

बप्पी लाहिड़ी डिस्को किंग का उदय : -

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बप्पी लाहिड़ी डिस्को किंग का जन्म 1952 में हुआ

               बप्पी लाहिड़ी का जन्म 1952 में  पश्चिम बंगाल के एक संगीत परिवार में हुआ। उनका वास्तविक नाम आलोकेश लाहिड़ी है। संगीत की शिक्षा उन्हें बचपन से ही मिली और उन्होंने कम उम्र में ही संगीत में गहरी रूचि दिखानी शुरू कर दी थी। 

                उनके माता - पिता शास्त्रीय संगीत के जानकार थे, लेकिन बप्पी लाहिड़ी ने अपने संगीत सफर में कुछ नया करने का मन बनाया। पश्चिमी संगीत से प्रभावित होकर उन्होंने डिस्को बीट्स को बॉलीवुड संगीत में संम्मिलित किया और एक नए संगीत आंदोलन को जन्म दिया। 

              बप्पी लाहिड़ी की विशेषता यह थी कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक संगीत यंत्रों का बखूबी इस्तेमाल किया, जो उस समय बॉलीवुड में नया था। बप्पी ने ' सिंथेसाइजर ', ' ड्रम मशीन ' और  ' गिटार '  का ऐसा संयोजन किया कि उनका संगीत तत्काल पहचान योग्य हो गया। 

             1980 के दशक में बप्पी लाहिड़ी ने कई सुपरहिट फ़िल्में दी, जिनमे अधिकतर में डिस्को संगीत प्रमुख रूप से शामिल था। उनकी प्रमुख फिल्मों में " नमक हलाल ", " शराबी " और " हिम्मतवाला " जैसी फ़िल्में शामिल है। 

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इन फिल्मों में डिस्को संगीत का प्रयोग किया गया है
  बप्पी लाहिड़ी की राह पर चले अन्य संगीतकार : -

                     हालांकि, आज के समय में डिस्को संगीत मुख्यधारा में नहीं है, लेकिन इसकी लोकप्रियता अभी भी कायम है। कई फिल्म निर्माता और संगीतकार पुराने डिस्को गानों का रीमेक बना रहे है। करण जोहर द्वारा निर्देशित फिल्म " स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर " जिसका गीत " डिस्को दीवाने " इसे बेनी दयाल, नाज़िया हसन और सुनिधि  चौहान ने अपनी आवाज दी है।                                                   

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स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर  पोस्टर


       बप्पी लाहिड़ी के आलावा, अन्य संगीतकारों ने भी हिंदी सिनेमा में डिस्को संगीत का प्रयोग किया है। खासकर 1980 और 1990 के दशक में डिस्को संगीत का प्रभाव हिंदी फिल्मों पर काफी ज्यादा था। इस शैली ने अनेक प्रतिष्ठित गीतों को जन्म दिया है, कुछ प्रमुख संगीतकारों और उनकी फिल्मों में जहां डिस्को संगीत का प्रयोग हुआ है --------

1 ] आर. डी. बर्मन [राहुल देव बर्मन ]

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संगीतकार राहुलदेव बर्मन
       राहुल देव बर्मन अपने प्रयोगात्मक शैली के लिए प्रसिद्ध थे, उन्होंने भी अपने संगीत में डिस्को के संगीत का भरपूर प्रयोग किया है -

       फिल्म " हम किसी से काम नहीं "[1977 ] का गीत ' बचना ऐ हसीनो ", फिल्म " शान " [ 1980 ] का गीत ' प्यार करनेवाले ' और फिल्म " द बर्निंग ट्रैन " [1980 ] का गीत ' तेरी है जमीन तेरा आसमान " जैसा गीत शामिल है। 

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राहुलदेव बर्मन ने इन फिल्मों में डिस्को संगीत का प्रयोग किया है।

  लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल [ 1937 - 1998 ] [ 1940 ] : -

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संगीतकार लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल की जोड़ी
           लक्ष्मीकांत उनका वास्तविक नाम लक्ष्मीकांत शांताराम कुडलकर था। उनका जन्म 1937 को हुआ और मृत्यु 1998 में हुई। उनके सहयोगी प्यारेलाल का वास्तविक नाम प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा है। उनका जन्म 1940 में हुआ है। 

            लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल की जोड़ी ने भी अपने काम में डिस्को संगीत को अपनाया है। उन्होंने कई गानों में इस शैली का प्रयोग किया है, जैसे --- फिल्म " कर्ज " [1980 ] का गीत ' ओम शान्ति ओम ' यह गीत डिस्को और इंडियन क्लासिकल का फ्यूजन था। 

 कल्याणजी आनंदजी 

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संगीतकार कल्याणजी और आनंदजी
        कल्याणजी का वास्तविक नाम कल्याणजी वीरजी शाह था। उनका जन्म 30 जून 1928 को हुआ था और उनकी मृत्यु 24 अगस्त 2000 में हुई। उनके भाई आनंदजी का वास्तविक नाम आनंदजी वीरजी शाह है, उनका जन्म 2 मार्च 1933 को हुआ है।

      इस जोड़ी ने भी अपने संगीत में वेस्ट्रन और डिस्को प्रभाव को मिलाकर कई गानों को सफल बनाया है। उनकी कुछ फ़िल्में इस प्रकार है ---- फिल्म " कुदरत " [ 1981 ] का गीत ' हमें तुमसे प्यार कितना ', फिल्म " डॉन " [ 1978 ] का गीत ' खइके पान बनारसवाला ' जिसमे लाइट डिस्को बीट्स का उपयोग किया गया था।                                

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फिल्म कुदरत और फिल्म डॉन का पोस्टर
अनु मलिक  :-                 

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सगीतकार अनु मलिक
              

                     अनु मलिक ने 1990 के दशक में डिस्को और पॉप म्यूजिक का काफी प्रयोग किया है, जो तब बहुत लोकप्रिय हुआ था। अनु मलिक ने एक संगीत निर्देशक के रूप में विभिन्न शैलियों की फिल्मों के लिए संगीत बनाया है और हिंदी फिल्म संगीत उद्योग के लिए व्यावसायिक रूप से गाने सफल गाने बनाए है। 

                       अनु मलिक का जन्म 2 नवम्बर 1960 को मुंबई में हुआ। उनका वास्तविक नाम अनवर सरदार है। उन्हें भारतीय राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ है। 

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फ़िल्में - " बाजीगर " [1993 ] का गीत ' ये काली काली आँखें ', और फिल्म " मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी " का गीत ' चुरा के दिल मेरा ' शामिल है।                                                      
बिद्दु : - 

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संगीतकार बिद्दू

          बिद्दु एक ब्रिटिश - भारतीय गायक, गीतकार, संगीतकार और संगीत है। जिन्होंने अपने पांच दशकों के करियर  दौरान कई विश्वव्यापी हिट रिकॉर्ड बनाये है। 

         संगीतकार बिद्दु जन्म 8 फरवरी 1945 को बैंगलोर में हुआ था।उन्होंने अपने संगीत करियर की शुरुवात 1960 के दशक में भारत में एक संगीतबैंड के गायक के हिस्से के रूप में की में थी और फिर इंग्लैंड  चले गए जहां गायक  रूप अपना करियर आरम्भ किया था। 

          बिद्दु डिस्को और पॉप म्यूजिक के लिए जाने जाते है। उन्होंने डिस्को गीतों तथा रीमिक्स भी दिए है।                                 

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गीत "आप  जैसा कोई मेरी जिंदगी में " इसी फिल्म था जिसे बिद्दु ने संगीत दिया था।
                                                                                    

        

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